Judge Saurabh Kirpal Life Story: इन दिनों हाई कोर्ट के जज के तौर पर एक नाम खासा चर्चाएं बटोर रहा है, और यह नाम है सौरभ कृपाल का… केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में जज के तौर पर वकील सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश को नामंजूर कर दिया है। सरकार के इस फैसले ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से सौरभ कृपाल के नाम पर फिर से विचार करने की अपील की है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति के लिए भेजे गए कई नामों पर पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को वापस भेजा है। इनमें से सबसे ज्यादा नाम जो सुर्खियां बटोर रहा है, वह सौरभ कृपाल का है।
इस पद के लिए सौरभ कृपाल के नाम को साल 2017 के बाद कई बार केंद्र सरकार की ओर से नामंजूर कर दिया गया है। इतना ही नहीं उनके प्रमोशन में भी काफी देरी हो रही है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि कौन है सौरभ कृपाल…?
कौन है सौरभ कृपाल?
सौरभ कृपाल भारत के पूर्व न्यायाधीश बीएन कृपाल के बेटे है। जस्टिस बीएन कृपाल 6 मई 2002 से 8 नवंबर 2002 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। हाल ही में सौरभ कृपाल ने अपने प्रमोशन में हो रही लगातार देरी को लेकर मीडिया चैनल से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने बताया था कि उनके सेक्सुअल ओरियंटेशन के कारण उनके प्रमोशन में देरी हो रही है, क्योंकि सौरभ कृपाल एक समलैंगिक है और यही वजह है कि उनके नाम की सिफारिश पर केंद्र सरकार की ओर से भी आपत्ति जताई जा रही है।
समलैंगिक है सौरभ कृपाल
सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल LGBTQ+ एक्टिवेट और लेखक के तौर पर जाने जाते हैं। साल 2021 में वह देश के पहले समलैंगिक सीनियर एडवोकेट बनने के बाद चर्चा में आए थे। सौरभ ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से फिजिक्स की पढ़ाई की है। इसके बाद वह कानून की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप हासिल कर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए थे। बाद में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की।
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धारा 377 को हटाने में रही महत्वपूर्ण भूमिका
1990 के दशक में भारत वापस आने से पहले सौरभ ने कुछ समय के लिए जनोवा में संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम किया था। इस दौरान भारत आने के बाद सौरभ दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे थे। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर बहस करते हुए अहम भूमिका निभाई, जिनमें से अधिकांश संवैधानिक, आपराधिक और दीवानी मामले थे।
इसके अलावा सौरभ कृपाल ने पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रहतोगी के चेंबर में भी बतौर जूनियर एडवोकेट कार्यभार संभाला है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सर्वसम्मति से आए फैसले के बाद मार्च 2021 में सौरभ कृपाल को सीनियर एडवोकेट के तौर पर प्रमोट किया गया था। सौरभ कृपाल भारत में एलजीबीटीक्यू अधिकारियों की लड़ाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इतना ही नहीं उसके केस का भी हिस्सा रह चुके हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके तहत समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।
सौरभ कृपाल बन सकते हैं देश के पहले समलैंगिक जज
मालूम हो कि सौरभ नेपाल का नाम पहले भी कई बार कई मामलों में सामने आ चुका है। वहीं इन दिनों उनका नाम सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में स्थाई जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सिलेक्शन के तौर पर भेजा गया है, लेकिन सरकार पहले भी उनके नाम की सिफारिश पक्रिया पर रोक लगा चुकी है। ऐसे में केंद्र का कहना है कि सौरभ कृपाल के विदेशी मूल का पार्टनर होना इसकी वजह है।
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विदेशी को डेट कर रहे हैं सौरभ कृपाल
बता दे सौरभ कृपाल एक लंबे समय से एक स्विस नागरिक के साथ रिलेशनशिप में है। उनके पाटनर निकोलस जर्मन स्विजरलैंड के ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट है और स्विस फेडरल डिपार्टमेंट और फॉरेन अफेयर्स में कार्यरत है। ऐसे में केंद्र का कहना है कि उनके पार्टनर का विदेशी मूल से होना देश की सुरक्षा के लिए परेशानी की वजह बन सकता है और यही वजह है कि उनके नाम की प्रक्रिया को बार-बार खारिज किया जा रहा है।
देश के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं सौरभ कृपाल
हालांकि सौरभ की ओर से इस तर्क को खारिज करते हुए यह भी कहा गया है कि उनके सेक्सुअल ओरियंटेशन के कारण उन्हें प्रमोशन ना देना गलत है। हालांकि मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के प्रावधानों के मद्देनजर अगर कॉलेजियम की ओर से दोबारा नाम केंद्र को भेजा जाता है, और सरकार की ओर से इसे क्लियर किया जाता है और उनके नाम को मंजूरी मिलती है, तो वह देश के पहले समलैंगिक जज बन सकते हैं।
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