खाट के नीचे मशरूम की खेती शुरू कर बन गयी मशरूम महिला, राष्ट्रपति किए सम्मानित

पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है. बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, बाजार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है. अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है. मशरूम की खेती के लिए किसान किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं.

बीना देवी की शादी मुंगेर जिले के धौरी गांव में हुई थी. जब उनकी शादी हुई उस समय महिलाओं के प्रति लोगों के मन में यह सोच थी कि महिलाएं सिर्फ घर का काम कर सकती हैं. इसी सोच के कारण बीना देवी भी बाकी महिलाओं की तरह घर के कामों में लगी रहती थी. पर कहते हैं ना कि जिसमें कुछ करने का जज्बा हो और अपनी पहचान बनाने की लगन हो उसे कोई ज्यादा दिन तक नहीं रोक सकता. कुछ ऐसा ही बिना देवी के साथ हुआ.

मुंगेर की कृषि विज्ञान केंद्र से लिया प्रशिक्षण

मुंगेर की कृषि विज्ञान केंद्र में बीना देवी ने खेती की ट्रेनिंग ले उनके हाथ में वहां की कृषि उपकरण आए तब इन्होंने खेती करने के बारे में सोचा. कृषि विज्ञान केंद्र ग्रामीण महिलाओं को जैविक खेती का प्रशिक्षण देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए था. बिना देवी ने यहां से भी खेती करने की ट्रेनिंग ली वह कहती हैं कि जब यहां से ट्रेनिंग की शुरुआत की तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें इसी में कुछ करना है मशरूम की खेती के बारे में जानकारी है बहुत ही आश्चर्य हुआ कि यह इतना पोस्टिक है और इसे इतनी आसानी से उगाया जा सकता है फिर भी मशरूम के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है और इसकी खेती बहुत कम लोग ही करते है.

खाट के नीचे उगाना शुरू किया मशरूम

एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि घर में एक खाट पड़ा था उस खाट के नीचे मैंने 1 किलो मशरूम लगाना शुरू किया. मशरूम बाकि फल और सब्जियों के मुकाबले बाजार में बहुत अधिक महंगा बिकता है. इसे उगाना भी बहुत आसान है बीना सिर्फ इसकी खेती ही नहीं कर रही है बल्कि वह इसे बाजार में बेच भी रही हैं और यह सिर्फ बीना नहीं बाकी की महिलाएं भी कर रही हैं.

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1500 महिलाएं कर रही है मशरूम की खेती

43 वर्षीय बीना देवी आज अपने काम की बदौलत 5 ब्लॉक के 105 पड़ोसी गांव में मशहूर है. उन्होंने अब तक लगभग 10,000 महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दी है. जिसमें सिर्फ पंद्रह सौ महिलाएं आज मशरूम की खेती कर रही है और इसका लाभ भी उठा रही है.

मुश्किल से भरा था मशरूम महिला बनने का सफर

बीना देवी कहती हैं एक साधारण घरेलू महिला से मशरूम महिला बनने की यह सफर आसान बिल्कुल भी नहीं था. समाज में महिलाओं को जहां घर के कामों के लिए ही समझा जाता है. बिना देवी का घर के बाहर निकल कर खेती करना और आत्मनिर्भर बनना कितनों को पसंद नहीं था. शुरू में लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे उन्हें पागल कहा करते थे और हतोत्साहित किया करते थे पर बीना देवी ने इन सब बातों को नजर अंदाज कर अपने मशरूम की खेती पर ध्यान दिया और आज रिजल्ट सबके सामने हैं.

700 महिलाओं को सिखाया मोबाइल यूज करना

बीना देवी मशरूम की खेती का प्रशिक्षण महिलाओं को तो सिखाती ही है इसके साथ-साथ उन्होंने उन्हें डिजिटल साक्षर बनाने की कोशिश भी कर रही हैं. बिना देवी ने अब तक लगभग 700 महिलाओं को मोबाइल का उपयोग करना सिखाया है इसके लिए उन्हें टाटा ट्रस्ट की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है. वहीं किसानों की मदद के लिए उन्होंने 500 किसान को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा है और उन्हें खेती के लिए सिस्टम ऑफ इंटफिकेशन (ISRI) की पद्धति सिखाई है.

रह चुकी है सरपंच

बीना देवी अपने काम के कारण टेटियाबंबर ब्लॉक की Dhauri पंचायत की 5 साल तक सरपंच भी रह चुकी है. अपने 5 साल के कार्यकाल में बिना देवी ने जैविक खेती को बढ़ावा दिया वर्मी कंपोस्ट उत्पादन जैविक कीटनाशक के प्रयोग जैसी चीजों के लिए उन्होंने लोगों को प्रशिक्षित किया.

मुंगेर के बिना देवी 1 किलो मशरूम उत्पादन से अपना सफर शुरू करने वाली आज 90 हजार तक कमाती है और वह अपने 18 सदस्य परिवार का भरण पोषण भी कर रही है. वह अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही है बीना देवी महिला सशक्तिकरण की एक सच्ची उदाहरण है और समाज के लिए प्रेरणा भी. बीना देवी ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं सिर्फ घरेलू काम के लिए नहीं है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर चुके हैं सम्मानित

बीना देवी को क्या पता था कि खाट के नीचे सिर्फ 1 किलो मशरूम की खेती शुरू करने के बाद वह मशरूम महिला के नाम से प्रसिद्ध हो जाएगी. आपको बता दें कि मशरूम महिला बीना देवी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया है. बिना उस पल का जिक्र करते हुए कहती है कि वह यह उनके लिए बहुत बड़े सम्मान की बात थी कि वह देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हो रही थी.

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