रक्षाबंधन के दिन शहीद इकलौते भाई को बहन ने दी अंतिम विदाई, फफक कर रो पड़ा पूरा गांव

छत्तीसगढ़ के बस्तर डिवीजन के जिला नारायणपुर में नक्सली हमले में शहीद आईटीबीपी के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर गुरमुख सिंह का शव जब उनके पैतृक गाँव पंजाब के हलवारा के गांव झोरडां में पहुँचा तो गाँव का हुजूम उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए टूट पड़ा। उन्हें आखिरी विदाई देते हुए सबकी आँखे डबडबा गई। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। रविवार की सुबह ही आईटीबीपी की 45 बटालियन के सब इंस्पेक्टर सुभाष सिंह शहीद गुरमुख सिंह का शव छत्तीसगढ़ से लेकर उनके गांव पहुंचे। शहीद जवान के घर से लेकर श्मशान घाट तक लोगों की भीड़ थी। आईटीबीपी के जवानों की टुकड़ी ने फायर कर शहीद गुरमुख सिंह को आखिरी सलामी दी।

शहीद जवान की पत्नी निर्मल कौर तिरंगे में लिपटे अपने पति के पार्थिव शरीर से लिपट कर लगातार रोती जा रही थीं, और वहाँ से हटने को तैयार नहीं थीं। बड़ी मुश्किल से उन्हें वहाँ से हटाया गया।  बता दे कि रविवार को रक्षा बंधन का त्यौहार था। शहीद की इकलौती बहन चरन कौर ने अपने शहीद भाई को राखी बांध अलविदा किया। इस दृश्य ने वहाँ उपस्थित हर लोगो के दिल को झकझोर दिया। माहौल बेहद ही भावूक हो गया। वहाँ मौजूद हर शख्स इस दृश्य को देखकर फफक् फफक कर रो पड़ा। शहीद जवान का बेटा गुरनूर, बेटी गुरलीन, पिता जंगीर सिंह का भी रो-रोकर बुरा हाल था। बता दे कि राखी के अवसर पर गुरमुख छुट्टी लेकर घर आना चाहते थे लेकिन उनकी छुट्टी कुछ समय बाद के लिए ही मंजूर हुई थी।

शहीद अफसर के बेटे गुरनूर सिंह ने दी मुखाग्नि

शहीद ऑफिसर गुरमुख सिंह को आईटीबीपी मुख्यालय (दिल्ली) से आए डीआईजी अंगद प्रसाद यादव, बद्दोवाल स्थित फोर्स के कमांडेंट विशाल महात, असिस्टेंट कमांडर नीतिश सिंह, असिस्टेंट कमांडर गौतम कुमार, जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार परमजीत सिंह बराड़, पुलिस प्रशासन की तरफ से डीएसपी गुरबचन सिंह द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करके भावभीनी विदाई दी गई । शहीद अफसर के बेटे गुरनूर सिंह ने मुखाग्नि दी। मार्केट कमेटी हठुर के चेयरमैन तरलोचन सिंह, सरपंच देविंदर कौर ने भी शहीद गुरमुख सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।

डीआईजी अंगद प्रसाद यादव ने शहीद ऑफिसर गुरमुख सिंह के नायाब व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि बहुत ही दिलेर थे, वे बेहद बहादुरी से हर मोर्चे पर आगे आकर लड़ते थे। घटना वाले दिन भी गुरमुख सिंह अपने असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे के साथ ऑपरेशन को लीड करने मे लगे हुए थे लेकिन तभी घात लगाकर मौके का इंतज़ार कर रहे नक्सलियों ने हमला कर दिया और दोनों जवान मौके पर शहीद हो गए । डीआईजी अंगद प्रसाद यादव शहीद के परिवार के हर सम्भव सहायता का वादा किया है। उन्होंने कहा कि शहीद गुरमुख सिंह के परिवार को बहुत जल्द ही सरकार द्वारा शहीद के परिवार दी जाने वाली सहायता राशि उपलब्ध करा दी जाएगी। इसके अलावा सेना शहीद परिवार की हर सहायता करती रहेगी।

सिविल वर्दी में पहुँच गए थे नक्सलियों के गढ़ मे

उन्होंने यह भी कहा कि गुरमुख सिंह की शहादत बेकार नहीं जायेगी। पुलिस जवानों ने हमलावर नक्सलियों को चारो ओर घेर लिया गई और उन्हें अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लिया जाएगा। आईटीबीपी के असिस्टेंट नीतिश सिंह ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के जिला नारायणपुर के गांव काड़े मेता में फोर्स का नया कैंप बनाया गया था, जहां उन्हें नक्सलियों का इनपुट मिला था। असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर गुरमुख सिंह सिविल वर्दी में वहाँ नक्सलियों की पनाहगाह देखने गए थे। तभी गाँव के किसी व्यक्ति ने इस बात को फैला दिया और पहले से घात लगाए और 100 से अधिक नक्सलियों ने उन दोनों पर हमला बोल दिया। दोनों शहीद अफसर आखिरी सांस तक नक्सलियों से अकेले ही मुकाबला करते रहे और आखिर मे शहीद हो गए।

अभी 6 साल की नौकरी बची थी

रिटायर्ड असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर दर्शन सिंह ने बताया कि साल 1988 मे गांव झोरडां से नौ दोस्त एक साथ आईटीबीपी मे भर्ती हुए थे, जिसमें से 9 में से 8 रिटायर हो चुके हैं। गुरमुख सिंह की नौकरी अभी छ्ह साल और थे। वे चाहते तो सभी सुविधाओं के साथ रिटायरमेन्ट को चुन सकते थे, लेकिन उनके अंदर देशभक्ति का गज़ब का जज्बा था । फोर्स की आल इंडिया कबड्डी और जूडो खेल में वे सबसे आगे रहते थे और युद्ध क्षेत्र में भी फ्रंट लाइनर थे। पूरे गांव को गुरमुख पर नाज है।

Manish Kumar

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