बिहार में पहले स्क्रैप सेंटर (Scrap Center Bihar) का निर्माण हुआ है. पटना से 40 किलोमीटर की दूरी पर बख्तियारपुर के टेका बीगहा में पहले स्क्रैप सेंटर का निर्माण किया गया है. इस स्क्रैप सेंटर में पर्यावरण संरक्षण गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए गाड़ियों को स्क्रैप करने का काम किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार अभी यहां पर ज्यादातर गाड़ियों को नीलामी के जरिए लाया जा रहा है.
स्क्रेपिंग के बाद मिलता है दो तरह का प्रमाण पत्र
श्री नीलमय प्रिकॉर्टेड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के जरिए शुरू किए गए स्क्रैप सेंटर के प्रबंधक एसके सिंह ने जानकारी दिया कि यहां पर गाड़ियों के स्क्रेप करने के बाद केंद्र द्वारा वाहन मालिकों को दो तरह का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है.
स्क्रैप प्रमाण पत्र पर मिलता है कई लाभ: Scrap Center Bihar
केंद्र सरकार के द्वारा पहला सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट और स्क्रैप होने के बाद दूसरा प्रमाण पत्र सर्टिफिकेट का व्हीकल स्क्रेपिंग का दिया जाता है. इन प्रमाण पत्र का लाभ नई गाड़ियों की खरीदारी करते समय ग्राहकों को मिलता है. स्क्रैप सेंटर के प्रबंधक ने जानकारी दिया कि यहां पर वैगन आर स्विफ्ट और i10 जैसे गाड़ियों के स्क्रेप से मालिकों को लगभग ₹25000 दिया जाता है. यहां पर सर्टिफिकेट केवल उन मालिकों को दिया जाता है जिसका विवरण वहां पोर्टल पर पहले से मौजूद है.
मिलता है लाखों का फायदा
COD प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों को 2 साल के अंदर नई गाड़ियों के खरीदारी पर कई तरह के लाभ दिए जाते हैं. सबसे बड़ा लाभ रोड टैक्स में मिलता है. COD प्रमाण पत्र दिखाकर नई गाड़ियों को खरीदने पर 25 परसेंट तक का रोड टैक्स माफ किया जाता है. स्क्रैप केंद्र के अधिकारियों ने जानकारी दिया है कि 15 लाख रुपए के गाड़ियों पर लगभग ₹50000 तक का डिस्काउंट मिलता है.
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केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किए गए स्क्रैप नीति को लेकर अभी भी गाड़ी मालिकों के पास जागरूकता नहीं दिख रहा है. यही वजह है कि पटना और इसके आसपास के इलाकों में अवैध स्क्रैप सेंटरों में गाड़ियों की कटिंग की जाती है. अवैध रूप से चल रहा है स्क्रैप सेंटर में गाड़ियों के मरम्मत करके उनका दुरुपयोग करने का आशंका रहता है.
नए वाहन नीति के अनुसार 15 साल तक दो पहिए और चार पहिए गाड़ियों का उपयोग करना वैध माना गया है. इसके बाद स्क्रैप नीति के तहत गाड़ियों का निस्तारण कराना है. पुरानी गाड़ियों का दुरुपयोग नहीं हो पाए इसलिए स्क्रैप सेंटर पर इसे नष्ट किया जाता है. इस कड़े प्रावधान आने के बाद 9 कंपनियों ने स्क्रैप लाइसेंस को सरेंडर कर दिया है और अब पांच कंपनियों के पास लाइसेंस है.
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