Property News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक संपत्ति विवाद में एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर किसी व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम से जमीन खरीदा है तो उसपर उसके परिजनों का भी अधिकार होगा. हाईकोर्ट ने यह भी अपने फैसले में स्पष्ट किया है की परिजनों का अधिकार तब नहीं माना जाएगा जब महिला यह साबित करेगी कि उसने अपनी कमाई की संपत्ति से वह प्रॉपर्टी खरीदी है लेकिन अगर महिला गृहणी है और उसके नाम पर कोई संपत्ति खरीदी गई है तो उस पर परिवार के बाकी सदस्यों का अधिकार होगा.
हाईकोर्ट में एक मृत पिता के बेटे ने दायर की थी अपील: Property News
एक मृत पिता की संपत्ति में अधिकार की मांग करने वाले बेटे की याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण कुमार सिंह देसवाल ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति को पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा. क्योंकि सामान्यतः हिंदू पति परिवार के लाभ के लिए पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि “जब तक यह साबित ना हो जाए की संपत्ति पत्नी द्वारा अर्जित की गई रकम से खरीदी गई थी इसे पति द्वारा अपनी आय से खरीदी गई संपत्ति माना जाएगा और इसपर परिवार का भी अधिकार होगा”.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार याचिका की अपील करता सौरभ गुप्ता ने एक सिविल मुकदमा दायर कर अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा की मांग की थी और कोर्ट ने उस संपत्ति में सह हिस्सेदारी घोषित करने की मांग की थी. क्योंकि वह संपत्ति याचिकाकर्ता के मृत पिता ने खरीदी थी इसलिए अपनी मां के साथ वह भी उसे संपत्ति में सह हिस्सेदारी है. सौरभ गुप्ता की मां इस मुकदमे में प्रतिवादी थी.
Also Read: एक छोटी सी भूल से किराएदार की हो जाएगी आपकी प्रॉपर्टी, कोर्ट जाने से भी नहीं बनेगा मामला, जाने कैसे
याचिकाकर्ता ने कहा कि संपत्ति उसकी मां यानि मृत पिता की पत्नी के नाम पर खरीदी गई थी इसलिए उसे संपत्ति में तीसरे पक्ष को हस्तानांतरित किया जा सकता है. इसलिए कोर्ट से तीसरे पक्ष को संपत्ति हस्तानांतरित न करने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की थी.
Also Read: छोटी सी लापरवाही की वजह से हाथ से निकल सकती है आपकी प्रॉपर्टी, जानिए क्या है 12 साल वाला कानून
दूसरी तरफ प्रतिवादी और याचिकाकर्ता की मां ने लिखित बयान में कोर्ट को बताया कि संपत्ति उनके पति ने उन्हें उपहार में दी थी क्योंकि उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं था. आपको बता दे इस मामले में हाई कोर्ट के द्वारा अंतरिम निषेधाज्ञा के आवेदन को खारिज कर दिया गया था जिसके खिलाफ बेटे ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 15 फरवरी को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पति द्वारा खरीदी गई संपत्ति पर परिवार के सभी सदस्य का हक होता है.
Share on