Who is Noti Binodini: बीते काफी लंबे समय से नटी बिनोदिनी (Noti Binodini) के किरदार को लेकर कई अलग-अलग नाम सामने आ रहे थे। इस कड़ी में कभी दीपिका पादुकोण का नाम सामने आया, तो कभी इस रोल के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन के नाम ने सुर्खियां बटोरी। वहीं अब इन दिनों सुई कंगना रनौत पर आकर रुक गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंगना रनौत नटी विनोदिनी (Noti Binodini Biography) का किरदार निभाएंगी। ऐसे में अगर कंगना रनौत नटी बिनोदिनी के किरदार में नजर आती है, तो यह चौथी बायोपिक हो जाएगी, जिसमें कंगना रनौत (Kangana Ranaut) काम करेंगी। नटी बिनोदिनी उर्फ बिनोदिनी दासी जो कि एक बंगाल थिएटर एक्ट्रेस रह चुकी है। कंगना इन के किरदार को कितने दमदार तरीके से पर्दे पर लाती है यह देखना दिलचस्प होगा।
कौन है नटी बिनोदिनी
बिनोदिनी दासी का जन्म एक वेश्यावृत्ति समाज में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भी यहीं से की थी। साल 1874 में 12 साल की उम्र में ही बिनोदिनी ने कोलकाता नेशनल थियेटर में अपना पहला ड्रामा किया था। यह वह दौर था जब थिएटर या सिनेमा में महिलाओं का किरदार भी पुरुष निभाते थे। ऐसे में विनोदिनी का थिएटर में काम करना उस दौरान उनके लिए काफी कठिनाइयों भरा रहा, क्योंकि यह वह दौर था जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना वेश्या के रूप में देखा जाता था ।उस दौर में थिएटर पर एक्टिंग करने वाली विनोदिनी एक क्रांतिकारी एक्ट्रेस थी।
थिएटर और कला के मामले में बंगाल अंग्रेजी से भी आगे रहा है। इस दौरान पुरुषों के बीच महिलाओं ने भी कलाकार के तौर पर सबसे पहले पर्दे पर अपने अभिनय के जलवे दिखाए हैं। पहली बार बंगाल से ही महिलाओं को परदे पर अभिनय करते देखा गया है। उस दौर में बिनोदिनी ने अपने टैलेंट से लाखों-करोड़ों लोगों का दिल जीता था।
सिनेमा में मजर आने वाली पहली महिलां थी बिनोदिनी
1874 के दौर की बिनोदिनी इकलौती ऐसी एक्ट्रेस थी, जो लोगों की वेश्यावृत्ति जैसी सोच से लड़ती थी और अपना काम पूरी लगन के साथ करती थी। हालांकि इस दौरान भी उन्हें लोगों की दकियानूसी सोच को झेलना पड़ा और उनके सपने लोगों की इसी सोच की भेंट चढ़ गए, लेकिन इन सब के बावजूद आज भी वह नटी बिनोदिनी के नाम से लोगों के दिलों-दिमाग पर राज करती है।
5 साल के भाई की दहेज के लिए करनी पड़ी शादी
बिनोदिनी का जन्म 1863 में ब्रिटिश राज के कोलकाता में हुआ था। वैश्य समाज में पली तवायफ की बेटी बिनोदिनी के सपने बहुत बड़े थे। इस दौरान उनका परिवार गरीबी की उस सीमा को झेल रहा था, जहां उनके परिवार ने उनके 5 साल के छोटे भाई की सिर्फ इसलिए शादी कर दी थी कि दहेज मिलेगा, तो घर का खर्चा चल सकेगा।
हालात ऐसे भी आ गए जब बिनोदिनी के कंधे पर घर की जिम्मेदारी आ गई, लेकिन उनके आंखों में थिएटर का सपना था। ऐसे में जब पहली बार नाटक देखा तो बस जेहन में एक्टिंग का जुनून सवार हो गया और वह अभिनय के रास्ते पर चल पड़ी। इस दौरान कई रुकावट आ,ई लेकिन उन्होंने अपने सपने का दामन कभी नहीं छोड़ा।
एक ही सीरियल में किए थे 6 रोल
बिनोदिनी ने एक ही नाटक में कई अलग-अलग कैरेक्टर्स निभाए हैं, जो किसी भी बड़े कलाकार के लिए आसान बात बिल्कुल नहीं है। बिनोदिनी अभिनय की दुनिया में इस कदर खो चुकी थी कि वह किसी भी किरदार को निभाने से नहीं डरती थी। एक बार बिनोदिनी ने मेघनाथ वध नाटक में छह अलग-अलग किरदार निभाए थे।
बिनोदिनी इकलौती ऐसी कलाकार थी जो पुरुष तक के रोल खुद कर दिया करती थी। उस जमाने में पुरुष महिलाओं का किरदार निभाते थे। उनकी आवाज निकालकर गाना भी गाते थे। उस जमाने में बिनोदिनी मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ना सिर्फ चलती थी, बल्कि अपने अभिनय से उनकी छवि को धूमिल करने का दम भी रखती थी। यही वजह थी कि उन्हें अभिनय की दुनिया की क्रांतिकारी महिला कहा जाता था।
जब झेलना पड़ा तबायफ होने का दंश
विनोदिनी की जिंदगी पर बंगाल में यूट्यूब पर कई फिल्में अ चुकी है। कई डॉक्यूमेंट्री भी बनी है, तो कई कहानियां भी दिखाई गई है ।उनके बारे में इस दौरान एक किस्सा काफी ज्यादा मशहूर रहा है। कहा जाता है कि जिस थिएटर को विनोदिनी अपनी जिंदगी मानती थी, वहीं से उन्हें सबसे बड़ा धोखा मिला था। थिएटर जगत की भलाई के लिए उन्होंने अपने आप तक का सौदा कर लिया था। इस दौरान जब उन्हें सपना दिखाया गया कि उनके नाम पर एक थिएटर बनाया जाएगा, तो इस बात पर उन्होंने एक मशहूर बिजनेसमैन की दूसरी औरत बनना भी स्वीकार कर लिया, लेकिन जब थिएटर बनकर तैयार हुआ तो उन्हें यह कहते हुए इस थिएटर से बाहर कर दिया गया कि वह एक वैश्या की बेटी है।
फिर कभी नहीं किया थियेटर का रुख
इसके बाद नटी बिनोदिनी ने थिएटर से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया और उन्होंने कभी वापसी नहीं की। इस बात का जिक्र उनकी किताब में भी किया गया है। यहां से मुंह मोड़ने के बाद विनोदिनी ने अपनी जिंदगी उसी बिजनेसमैन के साथ बिताई। विनोदिनी की एक बेटी हुई, लेकिन 12 साल की उम्र में उसका निधन हो गया। इसके बाद बिनोदिनी सिर्फ और सिर्फ एक राइटर के तौर पर दुनिया में प्रसिद्धि बटोरती नजर आई।