कम उम्र में पिता का निधन, फिर दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद, इस तरह झोपड़ी से महलों में पहुंचे निरहुआ

Dinesh Lal Yadav Nirahua: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 44 साल के दिनेश लाल यादव ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है। ऐसे में उनके लिए कामयाबी के इस आसमान को छूना और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक जुबली स्टार के तौर पर अपनी पहचान खड़ा करना, बिल्कुल भी आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने सिर्फ जिंदगी के कड़े संघर्षों का सामना ही नहीं किया, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और अपनी दमदार आवाज के जरिए यह मुकाम कमाया है। आज दिनेश लाल यादव निरहुआ को एक एक्टर-सिंगर के साथ-साथ एक नेता के तौर पर भी जानते हैं।

Dinesh Lal Yadav Nirahua

पिता के निधन के बाद आ गई परिवार की जिम्मेदारी

दिनेश लाल यादव का जन्म 1979 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हुआ था। एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे दिनेश लाल यादव ने अपने पढ़ाई कोलकाता से की है। यहीं पर उनके पिता ₹3700 महीने की कमाई पर काम करते थे। इन रुपयों में ही उनके परिवार का पेट भी पलता था और उनकी पढ़ाई का खर्चा भी चलता था। पढ़ाई के बाद ही वह अपने गांव टंडवा से मुंबई का सफर करने का मन बना चुके थे, लेकिन उनके लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था और उस पर जिंदगी की सबसे बड़ी मार वह पड़ी जब 19 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। ऐसे में घर का बड़ा होने के नाते उन पर ही परिवार की सारी जिम्मेदारी आ गई।

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दिनेश लाल यादव का करियर सफरनामा

निरहुआ को संगीत विरासत में मिला था, तो उनके लिए संगीत के जरिए अपनी जिंदगी का सफर शुरू करना ज्यादा आसान रहा और संगीत ही उनके पास पैसे कमाने का सबसे अच्छा जरिया भी था। इस दौरान उन्होंने अपने एक बड़े भाई का साथ पकड़ लिया और पैसे कमाने के संघर्ष पथ पर चल पड़े। हालांकि इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी, क्योंकि उनके पास साइकिल नहीं थी। ऐसे में उन्हें मिलो पैदल चलकर स्टेज शो करने जाना पड़ता था।

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ये वो दौर था जब स्टेज शो करने के बाद ही पैसे मिलते थे, तो पैसे कमाने की उम्मीद ही उन्हें मीलों पैदल चलने पर मजबूर कर देती थी। बता दे निरहुआ के पिता, बड़े पापा और उनके बड़े लड़के विजय लाल यादव बिरहा गायक थे। चाचा के लड़के प्यारे लाल यादव भी संगीत से जुड़े हुए थे। ऐसे में संगीत की दुनिया में अपने करियर को चुनना उनके लिए सबसे आसान रहा। संघर्ष के उन दिनों में निरहुआ को कई बार निराशा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

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‘निरहुआ सटल रहे’ से मिली पहचान

निरहुआ के पिता का निधन साल 2001 में हुआ था। उस समय में 19 साल के थे, ऐसे में जिम्मेदारी आने के बाद वह स्टेज शो एल्बम गाने के जरिए अपने परिवार का गुजर-बसर करने लगे। इस दौरान उनका पहला एल्बम ‘बुढ़वा में दम बा’ रिलीज हुआ था। उनका पहला ही एल्बम सुपरहिट साबित हुआ। इसके बाद शुरू हुआ उनके संगीत का सफर लगातार आसमान की बुलंदियों को छूता गया। निरहुआ का दूसरा एल्बम तो आज भी सुपरहिट कहा जाता है। ये एलबम ‘निरहुआ सटल रहे’ था, साल 2003 में रिलीज हुआ। इसी गाने के बाद उनका नाम निरहुआ पड़ गया था।

पहली ही फिल्म हुई सुपरहिट

निरहुआ की एल्बम गाने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ दूसरी इंडस्ट्री में भी काफी पॉपुलर होने लगे थे। ऐसे में संगीत की दुनिया के साथ-साथ निरहुआ ने अभिनय की दुनिया में भी डेब्यू करने का मन बना लिया और इसी के साथ उन्होंने निरहुआ रिक्शावाला फिल्म से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया। इस दौरान वह पाखी हेगड़े के साथ पहली बार अभिनय करते नजर आए। पाखी हेगड़े और निरहुआ की जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया। निरहुआ रिक्शावाला से शुरू हुआ दिनेश लाल यादव के एक्टिंग करियर का सफर आज तक जारी है।

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