सियाचिन को बचाने वाले कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ नहीं रहे, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया था तिरंगा

भारतीय सेना के जांबाज कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में 87 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. कर्नल कुमार की गिनती देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों में होती थी. उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने का गौरव भी हासिल किया था. प्रधानमंत्री मोदी ने नरेंद्र कुमार के निधन पर शोक जताया.

रिपोर्ट के मुताबिक कर्नल नरेंद्र कुमार बढ़ती उम्र के कारण कई बीमारियों से पीड़ित थे. 1953 में भारतीय सेना का हिस्सा बने कर्नल नरेंद्र कुमार दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में से एक सियाचिन ग्लेशियर को दुश्मन से बचाए रखने के लिए जाने जाते है.

नरेंद्र कुमार ने ही 1984 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन “मेघदूत” शुरू करने से पहले सियाचिन में कई अभियान चलाए थे और उन्हीं की बदौलत भारत सियाचिन पर अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रहा था. उन्हें भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री, खेलों में उनके अतुलनीय योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार और मैकग्रेगर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. कर्नल नरेंद्र कुमार को बुल के नाम से भी जाना जाता था. नंदादेवी पर्वत पर चढ़ाई करने वाले वह पहले भारतीय थे. 1965 में माउंट एवरेस्ट पर भारतीय झंडा फहराने का कीर्तिमान इन्हीं के नाम दर्ज है.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कर्नल नरेंद्र कुमार को श्रद्धांजलि दी, प्रधानमंत्री मोदी ने कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए अपने एक ट्वीट में लिखा, “अपूरणीय क्षति. कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेंद्र ‘बुल’ कुमार ने असाधारण साहस और लगन से देश की सेवा की. पर्वतों के साथ उनके विशेष संबंधों को याद रखा जाएगा. उनके परिवार एवं शुभचिंतकों के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.”

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