बेसहारा कुत्तों के लिए अन्नदाता है ये बौद्ध भिक्षु, हर दिन अपने हाथों से खाना बनाकर परोसती है!

इंसान और जानवरों के बीच के रिश्ते की मिसाल के कई किस्से आपने सुने होंगे। ऐसे में आज एक ऐसे ही प्यार भरे रिश्ते की कहानी बयां करता बिहार के गया का एक किस्सा । हम आपको बताने जा रहे हैं। बिहार के गया में करीब ढाई साल पहले एक 52 वर्षीय बौद्ध भिक्षुणी गया घूमने आई थी। इसके बाद वह यहीं की होकर रह गई। बोधगया के लोग इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। यह सड़कों पर घूमने वाले 200 से ज्यादा आवारा कुत्तों को हर दिन खाना खिलाती है। खास बात यह है कि यह खुद इनका खाना बनाती है।

भिक्षुणी ग्यांग लह्मो

आवारा कुत्तों की अन्नदाता है भिक्षुणी

हिमाचल प्रदेश के रेवासा गांव की रहने वाली भिक्षुणी ग्यांग लह्मो ढाई साल पहले भगवान बुद्ध के दर्शन करने के लिए बोधगया आई थी। जब यह बोधगया आई उसके कुछ समय बाद ही कोरोना महमारी के लगातार बढ़ते मामलों के चलते देश के सभी हिस्सों में लॉकडाउन लग गया। इसके बाद ग्यांग लह्मो भी यहीं फंस गई। इस दौरान उन्होंने देखा कि बोधगया के सभी व्यापार मंडलों पर ताला लग गया है, यहां तक कि खाने-पीने की दुकानें भी बंद हो गई है। इस बंदी के दौरान सब लोग अपने-अपने घरों में बंद थे।

जीवन की ऐसी हालत देख भिक्षुणी ग्यांग लह्मो सोचने लगी कि लोग कहीं से भी मांग कर अपने भोजन का जुगाड़ कर रहे थे, लेकिन इस बंदी के कारण सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को एक टाइम का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा था और ना ही कोई उन्हें भोजन दे रहा था। इतना ही नहीं बिना खाने के सभी कुत्ते कमजोर हो रहे थे। यह नजारा देख भिक्षुणी के अंदर की ममता जाग गई।

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भिक्षुणी ग्यांग लह्मो
प्रतीकात्मक तस्वीर

रिक्शे पर भोजन ले चल पड़ती है खिलाने

भिक्षुणी ग्यांग लह्मो ने कुत्तों के प्रति अपने करुणा भाव को पहचाना और इसके बाद भगवान बुद्ध के द्वारा सिखाए दया और करुणा के मार्ग पर चल पड़ी। उन्होंने इन आवारा कुत्तों के लिए लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन दो समय का भोजन बनाना शुरू किया। ग्यांग लह्मो ने खाना ले जाने के लिए एक रिक्शा चालक भी रखा और वह खुद सड़कों पर जाकर इन कुत्तों को खाना खिलाने लगी।

आज भी भिक्षणु का कुत्तों को खाना खिलाने का यह सफर जारी है। आज भी वो रिक्शे पर उनका खाना लेकर सड़कों पर चल पड़ती है। चौराहों सड़कों पर सभी जगहों पर वो इन कुत्तों को भोजन अपने हाथों से परोसती है। यही वजह है कि ग्यांग लह्मो के आने का पता इन कुत्तों को पहले ही लग जाता है और वह उनके इंतजार में पहले से ही खुश होकर वहां घूमने लगते हैं।

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