स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी, 100 करोड़ कमाने का रखा है लक्ष्य

Written by: Shubhangi Singh | biharivoice.com • 22 Mar 2021, 1:07 pm

कामयाब होने की कोई उम्र नही होती! अगर इंसान अपने में ठान ले तो कोई भी काम उसके लिए मुश्किल नही है। ऐसा ही कारनामा किया है स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे ने जिसने ना सिर्फ खुद की कम्पनी खड़ी की है बल्कि अगले 2 साल में 100 करोड़ का टारगेट भी सेट कर लिया है। हम बात कर रहे है लोजिस्टिक्स सेवा देने वाली कंपनी के मालिक तिलक मेहता की जिन्होंने छोटी सी उम्र में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है, जो उन्हें बाकियों बच्चे से अलग बनाता है।

पेपर्स एंड पार्सल नाम से लोजिस्टिक्स सेवा देने वाली कंपनी छोटे पार्सलों की डिलीवरी करती है। कंपनी के मालिक तिलक ने बताया कि उनके दिमाग में। इस कंपनी का आईडिया कैसे आया। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब उन्हें किताबों की बेहद सख्त जरूरत थी और उनके पास कोई जरिया नही था जिससे वो किताबों को शहर के एक कोने से दूसरे कोने में मंगा सके। ऐसे में अपनी उस जरूरत से उन्होंने अपना बिज़नेस बना लिया।

तिलक ने अपने इस आईडिया को एक बैंकर के साथ शेयर किया जिसके बाद उस बैंकर को उनका यह सुझाव बेहद पसंद आया। बैंकर ने तिलक की स्टार्टअप कंपनी को खुद की नौकरी छोड़ बतौर सीईओ आखिरी अंजाम तक पहुंचाया। किसी भी पार्सल की डिलीवरी को 24 घण्टे के अंतर उसके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए तिलक ने मुम्बई के डब्बा देने वाले लोगों के तगड़े नेटवर्क का लाभ उठाया और कंपनी को एक बेहतर तरीके से खड़ा किया।

इन सामानो को की करती है डिलेवरी

बता दें की पीएनपी की सेवाएं पैथोलॉजी लैब्स, बुटीक शॉप्स और ब्रोकरेज जैसी कंपनियां उठा रही है। साल 2020 तक कंपनी ने 100 करोड का टारगेट सेट किया था जिसमे वह सफल भी रही। कंपनी के मालिक तिलक की कोशिश है कि लॉजिस्टिक्स मार्केट में कंपनी का मुनाफा 20 फीसदी तक बढ़ जाये।

ऐसे करती है काम

वही बात करें अगर सेवाओं के माध्यम की तो पीएनपी अपने सभी काम मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये करती है। पिछले साल कोरोना महामारी के भारत में दस्तक देने से पहले कंपनी में कुल 200 कर्मचारी और 300 से अधिक डब्बेवालें जुड़े थे। लेकिन कोरोना काल में इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई। कोरोना काल से पहले कंपनी हर रोज डिब्बेवालों की मदद से 1200 पारसेल्स की डिलीवरी करती थी जिसका शुल्क 40 से 180 रुपये तक था।

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