बॉलीवुड मे खुद की पहचान बनाना और उसे कायम रख पाना काफी मुश्किल माना जाता है, लेकिन अपनी प्रतिभा की बदौलत मंदिरा बेदी ने अपना एक अलग ही मुकाम बनाया है. आज हर कोई उन्हें जानता है, वे किसी पहचान की मोहताज नहीं है. उनके अंदर प्रतिभा कूट कूट कर भरी है. परदे पर तो उन्होंने अपना रंग जमाया ही है, उनकी निजी जिन्दगी भी काफी दिलचस्प रही है। बहुत गिने चुने लोग होते है जो किसी को सच्चे दिल से चाहते हैं और उन्हें भी प्यार के बदले उतना ही सच्चा प्यार करने वाला शख्स मिलता है।
मंदिरा बेदी भी उन्हीं मे से एक हैं जिन्हें प्यार के बदले प्यार मिला। लेकिन आज उनका प्यार उनसे हमेशा के लिए दूर हो गया। आज सुबह ही उनके पति राज कैशल का साथ उनसे हमेशा के लिए छूट गया, दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। इस वक्त मंदिरा बेदी किस तकलीफ से गुजर रही होंगी, इसका अनुमान लगा पाना भी मुश्किल है।
वक्त ने मंदिरा बेदी के साथ बहुत बेरहमी की है और उनके प्यार को मौत ने उनसे छीन लिया है। मंदिरा और राज के सम्बम्धो की बात करें तो दोनों बहुत ही खुशहाल कपल थे, दोनों एक दूसरे को बेइंतहा चाहते थे लेकिन स्वाभाव मे दोनों ही एक दूसरे के एकदम विपरीत थे। लेकिन वो कहते है विपरीत चीजे कई बार आपको ज्यादा आकर्षित करता है।
कुछ ऐसा ही था मंदिरा बेदी और राज कौशल के बीच। पहली मुलाकात से लेकर शादी और फिर ये अंतिम जुदाई, बिलकुल किसी फ़िल्मी किस्से की तरह लगती है। तो आइए जानते हैं दोनों कि प्रेम कहानी के बारे मे, दोनों के बीच प्यार कब कैसे और कहा हुआ और फिर कैसे उन्होंने अपने प्यार को मुकम्मल किया।
ऐसे हुई पहली मुलाक़ात
1996 मे राज और मंदिरा पहली बार एक दूसरे से मिले। फिल्म ‘ दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में प्रीति का किरदार निभाने वाली मंदिरा को परदे पर तो राज नहीं मिला लेकिन हकीकत मे सही मायने मे राज उन्हें ही मिला था। मंदिरा तब इस फिल्म के अलावा ‘शांति’ सीरियल में भी अभिनय कर चुकी थी।
वही राज मुकुल आनंद के चीफ असिसटेंट के तौर पर काम कर रहे थे और फिलिप्स 10 शो के ऑडिशन का काम उनके पास था। वैसे तो राज ने मंदिरा को कई शो और फिल्मो मे देखा था लेकिन पहली उनका ध्यान मंदिरा की तरफ तब गया जब लाल-सफेद स्ट्रिप्ड टीशर्ट और खाकी पैंट पहने ऑडिशन देने मुकुल आनंद के सेट पर आईं थी। राज ने बताया था कि उस वक्त वे भी शो फिलिप्स 10 के लिए ऑडिशन दे रहे थे। वो पहला मौका था जब उन्होंने करीब से मंदिरा को देखा था और उनका ध्यान गया था।
माँ को नहीं पसंद था रिश्ता
यह मुलाकात आख़िरकार प्यार मे तब्दील हो गई। 1996 के अंत होते होते दोनों पूरी तरह एक दूसरे के प्यार मे पड़ चुके थे। राज ने बताया था कि पहले तीन मुलाकात मे ही उन्हें समझ आ गया था कि मंदिरा सिर्फ उनके लिए बनी हैं और यही उनका सच्चा प्यार है. उन्होंने अपने माँ-पिता से मंदिरा को फ़ौरन ही मिलवा दिया, उनकी तरफ से शादी मे कोई दिक्कते नहीं थी लेकिन मंदिरा कि माँ फिल्म निर्देशक से उनकी शादी नहीं करना चाहती थी।
इस वजह से हुआ प्यार
वे दोनों अक्सर ही मुकुल आनंद कर घर पर एक दूसरे से मिलते थे। विपरीत स्वभाव के होते हुए भी मंदिरा राज को कैसे इतना प्यार करने लगी थी इसके जवाब मे उन्होंने कहा था “वो एक साधारण सच्चे इंसान हैं। उनके अंदर कुछ भी झूठ या दिखावा नहीं था। बहुत से लोग नकाब के पीछे कुछ और होते हैं, लेकिन राज का ऐसा कोई चेहरा नहीं है। 14 फरवरी 1999 को वे दोनों एक दूसरे के साथ शादी के बंधन मे बंधे थे, उनके प्यार के आगे मंदिरा के माँ कोआखिरकार अपना फैसला बदलना पड़ा था।
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