Who is MDH Uncle Rajeev Gulati: देश का सबसे पॉपुलर मसाला ब्रांड एमडीएच यानी महाशियन दी हट्टी की पहचान देश के हर कोने में है। वहीं इसके संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी को देशभर में एमडीएच वाले दादा जी के नाम से जाना जाता है। टीवी कमर्शियल के जरिए एमडीएच वाले दादाजी धर्मपाल गुलाटी ने देश के हर कोने में पहचान बनाई है। आज धर्मपाल गुलाटी की 100वीं जन्मतिथि है। हालांकि बता दें कि 2020 में 98 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। वहीं अब एमडीएच वाले दादाजी को एमडीएच वाले अंकल ने रिप्लेस कर दिया है। ऐसे में आइए हम आपको धर्मपाल गुलाटी को रिप्लेस करने वाले राजीव गुलाटी के बारे में बताते हैं। कौन है एमडीएच वाले राजीव गुलाटी? राजीव गुलाटी का धर्मपाल गुलाटी से क्या नाता है?
धर्मपाल गुलाटी को राजीव गुलाटी ने किया रिप्लेस
एमडीएच की नई ऐड में धर्मपाल गुलाटी को राजीव गुलाटी ने रिप्लेस कर दिया है। धर्मपाल गुलाटी के निधन के बाद एमडीएच प्लांट की विरासत को इसी तरह से आसमान की बुलंदियों के मुकाम पर बनाए रखना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में धर्मपाल गुलाटी के निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर ब्रांड की कमान कौन संभालेगा? तो बता दे कि आज एमडीएच की नई ऐड में नजर आने वाले राजीव गुलाटी धर्मपाल गुलाटी के बेटे हैं। वह सिर्फ एमडीएच के नए विज्ञापन में ही नजर नहीं आ रहे, बल्कि एमडीएच की कमान भी राजीव गुलाटी ही संभाल रहे हैं।
कौन है राजीव गुलाटी?
राजीव गुलाटी धर्मपाल गुलाटी के बेटे हैं। पिता के निधन के बाद से ही एमडीएच के कारोबार की कमान वही संभाल रहे हैं। आज एमडीएच की पहचान भारत के हर कोने में है। एमडीएच को भारत का सबसे बड़ा मसालों का उत्पादक ब्रांड माना जाता है। धर्मपाल गुलाटी की कंपनी की सफलता आसमान की बुलंदियों पर है। ऐसे में एमडीएच के टेलीविजन और प्रिंट विज्ञापन में अब धर्मपाल गुलाटी की जगह वही नजर आ रहे हैं। एमडीएच कंपनी सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों जैसे अमेरिका, यूरोप, कनाडा, यूनाइटेड, किंगडम, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान और अमेरिका में भी मसालों का निर्यात कर रही है।
क्या है एमडीएच कंपनी का इतिहास
बात एमडीएच कंपनी की नींव की करें तो बता दें कि धर्मपाल गुलाटी ने एक दौर में अपना जीवन गुजर बसर करने के लिए छोटे-छोटे काम किए। शुरुआत में वह 650 में एक तांगा खरीद कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के कुतुब रोड के बीच तांगा चलाया करते थे। इस तरह पैसे जोड़कर उन्होंने दिल्ली के करोल बाग में उसी नाम से एक दुकान खोली, जिस नाम से उन्होंने परिवार सियालकोट से अपने कारोबार की शुरुआत की थी और यहीं से उन्होंने एमडीएच की भी नींव रखीं, जिसे साल 1959 में एमडीएच कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड करा उन्होंने आधिकारिक तौर पर पहचान दी।
आज आलम यह है कि एमडीएच कंपनी भारत और दुबई में अपनी एक अलग पहचान रखती है। कंपनी की 18 से ज्यादा फैक्ट्रियां है। इन फैक्ट्रियों में तैयार एमडीएच मसाले को दुनिया भर के हर कोने में बेचा जाता है। बता दें एमडीएच के कुल 62 प्रोडक्ट है।
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