MBA Sarpanch Chhavi Rajawat: MBA वाली सरपंच मैडम इन दिनों हर जगह खबरों में छाई हुई है। छवि राजावत देश की पहली MBA पासआउट सरपंच है। एमबीए की पढ़ाई करने के बाद लाखों के सैलरी पैकेज को छोड़ उन्होंने गांव की भलाई करने का फैसला किया। आज आलम यह है कि उनकी मेहनत, लगन और सूझबूझ के जरिए उनके छोटे से गांव सोढा की तस्वीर न सिर्फ बदल गई है, बल्कि हर घर में शिक्षा के साथ-साथ रहन-सहन के स्तर में भी काफी बड़ा बदलाव हुआ है।
जी-20 बैठक में शामिल हुई MBA सरपंट छवि रजावत
सरपंच छवि राजावत के कारनामों का ही नतीजा है कि कभी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसने वाला सोढ़ा गांव आज पानी से लबालब तालाबों से भरा हुआ है। हाल ही में जी-20 की बैठक में एमबीए सरपंच छवि राजावत को भी बुलाया गया था, जहां राजस्थान के टोंक जिले की सोढ़ा गांव की दो बार सरपंच का पदभार संभाल चुकी छवि राजावत ने सोच और बदलाव को लेकर कई अहम बातें कहीं।
MBA सरपंच ने बदली सोढ़ा गांव की तस्वीर
छवि राजावत राजस्थान के टोंक जिले के सोढ़ा गांव की दो बार सरपंच बन चुकी है। छवि ने साल 2003 में पुणे से एमबीए किया था। 7 साल तक दिल्ली और जयपुर में कई कंपनियों में नौकरी करने के बाद जब उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया, तो उस समय उनकी तनख्वाह 1,00,000 रुपए महीना थी। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने नौकरी छोड़ कर सरपंच बनने का फैसला किया। हालांकि यह फैसला उन्होंने अचानक से नहीं किया था, इसके पीछे एक खास वजह थी।
सोढ़ा गांव की पानी की समस्या को किया दूर
दरअसल गांव वालों ने उन्हें निवर्तमान सरपंच की पत्नी के सामने चुनाव लड़वाया था, जिसमें छवि राजावत ने दो हजार से ज्यादा मत हासिल कर चुनाव में जीत दर्ज की। सरपंच बनने के बाद शुरुआत में उनके सामने कई चुनौतियां आई, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती गांव में पानी की कमी था। चुनौतियों के संघर्ष से लड़ते हुए छवि राजावत ने सरकार की मदद से गांव की तस्वीर बदलने का फैसला किया और उनके इस फैसले में उनके पिता, दादा और उनके दोस्तों ने काफी मदद की। सभी ने क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे जुटाए और लोगों को श्रमदान के लिए राजी किया। इसके साथ गांव में तालाब की खुदाई की गई और बारिश के होने के बाद यह तालाब पानी से लबालब भर गया।
पूरी तरह से बदलना चाहती है सोढ़ा गांव की तस्वीर
छवि ने आज अपने गांव की पूरी तस्वीर को बदल दिया है। एमबीए सरपंच बिटिया के नाम से जानी जाने वाली छवि ने गांव में 40 से ज्यागा सड़के बनवाई है। साथ ही सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया है और जैविक खेती के प्रोत्साहन को लेकर भी छवि लोगों को सजग करती नजर आती है। बता दे छवि खुद भी खेती करती है और साथ ही ट्रैक्टर के जरिए जुताई भी करती है।
सोढ़ा गांव की आबादी 10,000 है। छवि का कहना है कि जब वह पहली बार 2010 में सरपंच बनी थी, तब गांव में अकाल था, पानी की कमी थी, सड़कों की हालत जर्जर थी, गरीबी, जैसी इन समस्याओं को दूर करने में उन्हें एक लंबी जंग लड़नी पड़ी है। छवि की मेहनत की देन है कि आज पंचायत की बैठक में महिला पंचों को जगह मिली है।
महिलाओं की छवि को मजबूत करना चाहती है MBA सरपंच
अब इस बैठक में उनके पति शामिल नहीं हो सकते। छवि ने उन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। छवि का कहना है कि जब गांव में बेटी सरपंच है, तो बाकी पंचों में भी महिलाओं की छवि को चुना जाना चाहिये। छवि के काम और उनकी मेहनत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि छवि जब भी किसी काम को लेकर प्लान करती है, तो वह घर घर जाकर उसकी स्थिति का पता भी लगाती है।
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