Manoj Bajpayee Open up On Depression: बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपाई इन दिनों अपनी फिल्म गुलमोहर को लेकर लगातार चर्चाओं में है। वही मनोज बाजपेई ने हाल ही में अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक बड़ा किस्सा सुनाया और बताया कि आज भले ही वह कामयाबी का आसमान छू रहे हों, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब वह डिप्रेशन में थे। इससे ओवर कम करने में उन्हें काफी लंबा समय लगा था। मनोज बाजपेई ने इस दौरान खुलासा किया कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से रिजेक्ट होने के बाद उन्हें इतना गहरा सदमा लगा था कि वह पूरी तरह से टूट गए थे। मनोज बाजपेई ने कहा कि उनका बचपन से सपना एक्टर बनने का था। ऐसे में रिजेक्शन से उन्हें मानसिक तौर पर काफी गहरी चोट लगी थी।
बचपन से ही एक्टर बनने का देखा था सपना- मनोज बाजपेई
इस दौरान मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान मनोज बाजपेई ने बताया कि वह जब पांचवी क्लास में थे, तभी एक्टर बनने की ख्वाहिश पाल ली थी। एक बार क्लास में उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की कविता भी पढ़कर सुनाई थी, तब सभी ने उनकी बहुत तारीफ की थी। इसके बाद से ही उन्होंने अभिनय की दुनिया का रुख करने का मन बना लिया था।
रिजेक्शन से टूट गए थे मनोज बाजपेई
मनोज बाजपेई ने बताया कि इस दौरान मेरे दिमाग में यह सेट हो गया था कि स्कूल के बाद मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की तैयारी करनी है और वहां एडमिशन लेना है। कई साल तेजी से आगे बढ़ते गए। जब मनोज बाजपाई एमबीबीएस की परीक्षा पास करने में असफल रहे तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि उन्हें दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने की परमिशन दें। हालांकि उनका लक्ष्य कुछ और ही था। वह अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिल्ली आए और एनएसडी में एडमिशन के लिए गए, लेकिन उन्हें एडमिशन नहीं मिल पाया और इस बात का उन्हें बेहद गहरा सदमा लगा।
मनोज बाजपेई ने खुलासा किया कि यह वह दौर था जब उन्हें लगने लगा था कि उनके लिए अब सभी दरवाजे बंद हो गए हैं, क्योंकि उनके पास केवल एक ही योजना थी और उन्होंने अपने जीवन को लेकर कोई दूसरा विकल्प नहीं सोचा था। एनएसडी से रिजेक्शन का उन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा था और उन्हें इस दौरान अपने प्रियजनों का सामना करना बेहद मुश्किल लगा था।
आने लगे थे सुसाइड के ख्याल- मनोज बाजपाई
मनोज बाजपाई नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक ही बार रिजेक्ट नहीं हुए, बल्कि पहले रिजेक्शन के 3 साल बाद फिर गए। उन्हें लगने लगा था कि अब वह अनुभव लेकर जा रहे हैं, लेकिन इस दौरान भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। उसके बाद एक महीने तक उन्हें ऐसा लगा कि जैसे उनसे सब कुछ छीन लिया गया है, क्योंकि दिमाग में कोई दूसरा प्लान नहीं था। उन्होंने बताया- रिजेक्शन के बाद में कुछ समय तक डिप्रेशन में भी रहा। इस दौरान सुसाइड के ख्याल भी आते थे। मनोज बाजपेई ने कहा कि ऐसे ख्याल उन लोगों के लिए बिल्कुल असामान्य नहीं होते, जो लोग डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं।
हालांकि इन सबके बावजूद उन्होंने अपने जीवन के लिए एक नया रास्ता तलाशने की कोशिश की और आखिरकार उन्हें मंडी हाउस में एनएसडी के कुछ पुराने छात्र मिले, जिनका एक थिएटर ग्रुप ‘365 दिन की वर्कशॉ’प पर काम कर रहा था, जिसमें उन्हें शामिल होने का मौका मिला और यहां से उन्होंने बहुत कुछ सीख कर अभिनय की दुनिया का रुख किया।
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