लता ‘ताई’ चांदी की जगह सोने की पायल पहनती थी, सफ़ेद साड़ी पहनने के पीछे ये थी वजह !

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) एक ऐसा नाम जिसके परिचय में भारतीय सिनेमा (Lata Mangeshkar Song In Cinema) का हर सुर समाया है, यही वजह है कि लता मंगेशकर को सुर साम्राज्ञी कहा जाता है। सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर ने 6 फरवरी 2022 को दुनिया को अलविदा (Lata Mangeshkar Dies) कह दिया। लता मंगेशकर का निधन देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई कर पाना नामुमकिन है। बात लता मंगेशकर की निजी जिंदगी (Lata Mangeshkar Life Story) की करें, तो हमेशा उन्हें सादे अंदाज में देखा गया। हमेशा लता ताई सफेद साड़ी (Lata Mangeshkar white Saree Story) में लिपटी ही नजर आईं। लता ताई की ये बात हर किसी के लिए मिसाल थी कि किस तरह कामयाबी के शिखर को छूने के बावजूद भी उनकी जिंदगी में सादगी जस की तस बरकरार थी।

Lata Mangeshkar

बेहद सादा जीवन जीती थी लता मंगेशकर

लता मंगेशकर हमेशा अपने सादगी भरे अंदाज के चलते लोगों के दिलों को जीत लेती थी। उनकी सफेद साड़ी के साथ उनके बेहद सादा दिखने वाले आभूषण उनकी खूबसूरती को चार चांद लगा देते थे। वैसे तो लता ताई की आवाज उनका सबसे बड़ा गहना थी और इसी आवाज ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई थी। लता मंगेशकर का सफेद साड़ी के लिए लगाव उनकी बायोग्राफी सुर गाथा में किया गया है, जिसमें उनकी जिंदगी के कई अनसुने पहलुओं का भी जिक्र किया गया है।

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चांदी की पायल पहनती थी लता मंगेशकर

लता ताई पैरों में चांदी की नहीं, बल्कि सोने की पायल पहनती थी। इस बात को लेकर राज कपूर ने भी उन्हें एक बार टोका था, लेकिन उन्होंने सोने की पायल पहनना नहीं छोड़ा। यतींद्र मिश्र द्वारा लिखित लता ताई पर आधारित इस किताब में जब लता ताई से पूछा गया कि- वह हमेशा सफेद साड़ी क्यों पहनती है? क्या उन्हें दूसरे रंगों से कोई परहेज है? या इसके पीछे कोई कारण है?… तो इसके जवाब में उन्होंने कहा- रंग मुझे अच्छे लगते हैं और वह सब साड़ियों में खूब फकते भी है, लेकिन दूसरों पर… खुद मुझे रंगीन कपड़े पहनना अटपटा सा लगता है।

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सफेद रंग से था ताई को खास लगाव

लता ताई ने आगे कहा- इसके पीछे कोई कारण नहीं है, लेकिन अगर मैंने कभी ला या नारंगी कलर की साड़ी पहनी तो मुझे महसूस होता है कि मुझपर होली के रंग डाल दिए गए हैं। इसलिए मुझे सिर्फ सफेद या चंदन जैसे रंग ही पसंद आते हैं। साड़ी जितनी सफेद होती है, मेरा मन उतना ही प्रसन्न होता है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भी क्या रंग से परहेज करना, लेकिन मैं क्या करूं..मुझ पर डार्क रंग के शेड जंचते ही नहीं है।

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क्यों थी लता ताई को सफेद साड़ी पसंद

इसके साथ ही लता ताई ने सफेद साड़ी के प्रति अपने लगाव का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि सफेद साड़ी को उनके व्यक्तित्व से जोड़कर देखा जाने लगा है। वह उनकी पहचान बन गई है। लता ताई ने कहा- मेरे व्यक्तित्व पर सफेद रंग सही ढंग से खिलता है और लोगों को भी शायद मैं सफेद साड़ी में ही पसंद आती हूं।

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एक बार मुंबई में बहुत बारिश हो रही थी, मुझे समझ नहीं आया कि मैं रिकॉर्डिंग पर क्या पहनूं… मैंने क्रेप शिफॉन की साड़ी पहनी, जो ऑरेंज या पीले कलर की थी। मुझे उस साड़ी में देखकर रिकॉर्डिस्ट ने पूछा यह आप क्या पहन कर आ गई? तब मैंने कहा- इतनी बारिश में भीगते हुए आई हूं। क्रेप साड़ी पर जल्दी पानी सूख जाता है, लेकिन कॉटन में ऐसा नहीं होता…इसलिए मुझे यह पहनना पड़ा। मुझे उस साड़ी में देखकर उन्होंने कहा- यह अच्छा नहीं लग रहा। आप वही पहना करो, जैसे आप हमेशा पहनती हो। आप हमें वैसे ही अच्छी लगती हो।

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उनके उस दिन के जवाब से मैं समझ गई कि अब मामला मेरी पसंद का नहीं है। अब दूसरों ने मुझ पर अपनी नापसंद ही जाहिर कर दी है और मुझे भी लगा कि आम लोगों को भी अगर रंग-बिरंगे कपड़ों में मैं अच्छी नहीं लगती, तो मैं क्यों पहनूं? इसलिए मैंने हमेशा सफेद रंग की साड़ी ही पहनी।

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कॉटन और चंदेरी से था खासा प्यार

लता ताई को हमेशा कॉटन की साड़ियां ही पसंद आती थी। चंदेरी कॉटन या लखनवी चिकन की साड़ियां पहनना ही पसंद था। लता ताई बंगाल और महाराष्ट्र की साड़ियों से खासा लगाव रखती थी। उनके ऊपर कांजीवरम साड़ियां भी बेहद खूबसूरत लगती थी, लेकिन बनारसी साड़ी उन्हें कभी भी रास नहीं आई क्योंकि वह बहुत भारी होती है।

Kavita Tiwari