13 टैंको को अकेले नेस्तनाबूद कर मेजर रॉय ने तोड़ा था पाक सेना का यह बड़ा सपना…

भारत और पाकिस्तान के बीच की जंग से कौन नहीं वाकिफ है। इसी जंग की एक दास्तान के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। पाकिस्तान, ऑपरेशन जिब्राल्टर में भारत से हार की चपेट खाने के बाद भी अपनी आदत से बाज़ नहीं आया। उसने एक और साज़िश रची और उसका नाम था Operation Grand Slam. उस समय ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम, पाकिस्तान के सैन्य शासक अयूब खान और पाकिस्तान सेना के जनरल अख्तर मलिक के दिमाग की खुराफात थी।

इन दोनों को इस बात की चिढ़ थी कि भारतीय सेना अखनूर के रास्ते कश्मीर में रसद और सैन्य मदद पहुंचा रही थी। इसी को लेकर उन्होंने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम की साज़िश की,जिसके तहत उन्हें अखनूर ब्रिज पर कब्जा करना था। पाकिस्तानी सेना की ये सोच थी कि अगर वो अखनूर ब्रिज पर कब्जा करेंगे तो सेना की रसद और सैन्य सप्लाई बंद हो जाएगी। ऐसे में वो जम्मू स्थित सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकेंगे।

मेजर भास्कर रॉय की बहादुरी और नेतृत्व ने पाकिस्तान को धूल चटाया

जंग के वक्त मेजर भास्कर रॉय छंब सेक्टर में तैनात थे। वो कोर रेजीमेंट के एक स्क्वाड्रन के रूप में जंग लड़ रहे थे। अगर बात की जाए भारत और पाकिस्तान के सेना बल और अस्त्र शस्त्र की,तो भारतीय सेना बल की मात्रा पाकिस्तानी सेना बल के मुकाबले आधे से भी कम थी। छंब युद्ध के दौरान,पाकिस्तानी सेना के पास 6 टैंक स्क्वाड्रन थे तो वहीं भारत के पास महज एक। 8 इन्फेंट्री बटालियन पाकिस्तान सेना के पास थे तो वहीं भारतीय सेना के पास  मात्र 4 इन्फेंट्री बटालियन  इसके वावजूद भारतीय सेना ने मात्र 3 आर्टेलरी बटालियन के साथ पाकिस्तान के 18 आर्टेलरी बटालियन को मात दे दी थी। भारतीय सेना के सैनिक कम थे लेकिन उनका मनोबल बहुत अधिक था,जिसकी वजह से वो जीत की ओर अग्रसर हो सकें।

मेजर रॉय ने पाक सेना के 13 टैंकों को किया चकनाचूर

1 सितंबर को पाकिस्तानी सेना ने सुबह सुबह ही छंब सेक्टर पर हमला कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने इस दौरान अमेरिका से उधार में मांगे गए पैंटन टैंकों का भी सहारा लिया। जैसे ही पाकिस्तानी सेना अपने छल बल के साथ भारतीय सीमा में पहुंची। वैसे ही भारतीय सेना अपने सैनिकों और टैंकों के साथ उन पर टूट पड़ी। क्योंकि भारतीय सेना में कम सैनिक थे, इसलिए मेजर रॉय एक रणनीति के तहत आगे बढ़ रहें थे। जब टैंक से टैंक की भिड़ंत शुरू हुई तो मेजर रॉय ने अकेले ही 13 पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर दिया। इस तरीके से कम सेना बल होने के बावजूद भारतीय सेना ने अपनी सूझबूझ,रणनीति और अच्छे नेतृत्व के साथ पाकिस्तानी सेना को हार का स्वाद चखा दिया।

Manish Kumar

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