कभी थे दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल, लड़े 2 बार चुनाव, कौन हैं किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत

दिल्ली में पिछले 65 दिनों से किसान आंदोलन लगातार जारी है. किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. लेकिन पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ एक नाम जो आंदोलन में मुखर तौर पर उभरा हुआ है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का किसान आंदोलन के शुरुआत से ही राकेश टिकैत चर्चा में रहे हैं. राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है. भारतीय किसान यूनियन एक ऐसा किसान संगठन है जिसके पहचान पूरे देश में है और इसके अध्यक्ष राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत हैं. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे है राकेश Sisoli के एक प्रसिद्ध किसान नेता हैं.

मेरठ से हुई पढ़ाई

राकेश टिकैत का जन्म मुजफ्फरपुर जनपद के सिसौली गांव में 1975 को हुआ उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सर ताशी नामग्याल हाई स्कूल से की वहीं स्नातक की पढ़ाई उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ से की. आपको बता दें कि Rakesh Tikait भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ-साथ मौजूदा वक्त में राष्ट्रीय जनता दल के नेता है. राकेश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सशक्त नेता है.

इसलिए छोड़ी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की नौकरी

राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की हुई है. इसके बाद उन्होंने एलएलबी किया है. 1993 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते थे. लेकिन 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर उनके पिता स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में चल रहे किसानों के आंदोलन के चलते सरकार का आंदोलन खत्म कराने का जैसे ही दबाव पड़ने लगा उसी समय राकेश टिकैत ने दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी.

पिता का कैंसर से हुआ निधन

दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद राकेश ने पूरी तरह से भारतीय किसान यूनियन के साथ किसानों की लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. उनके पिता Mahendra Singh Tikait का कैंसर से निधन हो गया. पिता की मौत के बाद उनके बड़े भाई ने भारतीय किसान यूनियन की बागडोर संभाली.

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इसलिए नहीं बन सके भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष

हालांकि राकेश टिकैत बालियान खाप से आते थे और जब महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु हुई तब अपने बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया क्योंकि खाप के नियमों के मुताबिक बड़ा बेटा ही मुखिया हो सकता है. कहा जाता है कि नरेश टिकट सिर्फ नाम के अध्यक्ष हैं, भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं.

दो बार लड़े चुनाव लेकिन दोनों बार मिली हार

इन्होंने किसान नेता की छवि पर राजनीति में आने का प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. साल 2007 में उन्होंने मुजफ्फरपुर की खतौली विधान सभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई फिर उन्होंने दूसरी बार राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के टिकट पर साल 2014 में अमरोहा से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन वह दूसरी बार भी हार गए.

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