इस अभिनेत्री ने निभाया था ‘शोले’ मे ‘बंसन्ती की मौसी’ का रोल, 17 की उम्र में थी दो बच्चों की मां

बॉलीवुड में अक्सर ऐसी फिल्में बनती हैं जो दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ जाती है। ऐसी फिल्में ना सिर्फ दर्शक हमेशा याद रखते हैं बल्कि इन फिल्मों में निभाये गए हर एक किरदार और उनके डायलॉग्स भी लोगों के जहन में बस जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही फ़िल्म के बारे में बताने जा रहे है, जिसके एक किरदार को लोग कभी भी नही भूल सकते। हम बात कर रहे हैं साल 1975 में बड़े पर्दे पर आई फ़िल्म शोले की। इस फ़िल्म में हेमा मालिनी यानी कि बसंती की मासी का रोल निभाकर अभिनेत्री लीला मिश्रा ने अपने चंद डॉयलोग से लोगों का ध्यान अपनी और खींचा। तो चलिए आज हम आपको उनके फिल्मी दुनिया में आने के कुछ किस्से बताते हैं जो बेहद दिलचस्प हैं।

“शोले” फ़िल्म में हर एक किरदार का अपना एक अलग महत्व था जो आज भी लोगों को बखूबी याद हैं। वही बंसन्ती की मौसी का किरदार भी लोगों को खूब पसंद आया था। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन यानी कि जय और मौसी के बीच के डॉयलोग्स हर किसी के दिलों में आज भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौसी का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री लीला मिश्रा अपने जमाने में एक बेहद मशहूर अदाकारा थी। मूल रूप से उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली लीला का जन्म एक जमींदार परिवार के घर में हुआ था। फिल्मों में आने से पहले लीला ने अपने जीवन में बेहद कठिनाइयों का सामना किया था। घर में लड़कियों को पढ़ने की इजाजत ना होने के कारण उनकी शादी बेहद कम उम्र में ही करा दी गई थीं।

आपको बता दें कि महज 12 साल की उम्र में लीला की शादी बनारस निवासी राम प्रसाद मिश्रा के साथ कर दी गई और शादी के कुछ सालों बाद वह माँ भी बन गई थीं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लीला केवल 17 साल की थी जब उन्होंने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया था।यूं तो लीला के परिवार वाले उतने खुले विचार के नही थे मगर उनके पति राम प्रसाद का स्वभाव बहुत बढ़िया था और वह किसी भी चीज को लेकर लीला पर किसी तरह का दबाव नही बनाते थे। इतना ही नही राम प्रसाद ने लीला को अपने हिसाब से फैसले लेने का पूरा हक भी दिया था।

हालांकि आपको बता दें कि लीला के पति कश्मीरी नाटकों में काम करते थे जिस कारण उन्हें अक्सर बॉम्बे आना जाना पड़ता था। वहां उनके एक दोस्त बने जो कि दादा साहेब की फ़िल्म कम्पनी में काम करते थे। एक दिन वह अचानक राम प्रसाद के घर गए जहां उन्होंने उनकी पत्नी लीला मिश्रा को देखा। लीला को देखते ही वह उनकी खूबसूरती और मासूमियत के कायल हो गए और अपने दोस्त राम प्रसाद को लीला को फिल्मों में काम करने को लेकर सलाह दी।

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पहले फिल्म के लिए मिला मात्र इतने रुपए

मगर यह बात सुनकर राम प्रसाद ने साफ तौर पर मना कर दिया लेकिन फिर उनके मामा ने उन्हें समझाया तो वह मान गए। मामा के समझाने के बाद राम प्रसाद लीला को लेकर मुम्बई गए और फिल्मों में काम करने के लिए अपनी मेहनत शुरू की। फिर दोनों को एक साथ साल 1936 में आई फ़िल्म “सती सुलोचना” में काम करने का मौका मिला जहां रामप्रसाद रावण के किरदार में थे और लीला मंदोदरी के किरदार में नजर आई। आपको बता दें कि इस रोल के लिए लीला को 500 रुपये दिए गए थे।

पराया मर्द से था परहेज

यूं तो लीला मिश्रा बेहद खूबसूरत थी लेकिन उन्होंने अपने करियर में कभी भी लीड रोल नही निभाया। ऐसा नही था कि उन्हें कभी मुख्य भूमिका निभाने के आफर नही आये। कई बार उन्हें मेन लीड के लिए आफर आये पर लीला ने साफ तौर पर मना कर दिया क्योंकि उन्हें पर्दे पर पराए मर्दों को छूना बिल्कुल भी पसंद नही था और इसी कारण वह हमेशा माँ, मौसी, नानी और चाची जैसे किरदारों को करती नजर आई।

इन सब फिल्मों मे किया काम

साइड रोल निभाने के बावजूद भी लीला ने करीब 5 दशकों तक फिल्मों में काम किया हैं। उन्होंने लगभग 60 फिल्मों से ऊपर में काम किया जिनमे ‘अनमोल घड़ी’, ‘आवारा’, ‘प्यासा’, ‘लाजवंती’, ‘शोले’, ‘पहेली’, ‘चश्मे बद्दूर’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी फिल्में शामिल हैं। फ़िल्म शोले के अलावा लीला के एक और किरदार ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थी और उस फिल्म का नाम था नानी माँ। यही वो फ़िल्म थी जिसके लिए लीला मिश्रा को 73 साल की उम्र में बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया था।

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