किसानो और सरकार की बीच नहीं बनी बात, किसान रहे मौन, जाने आखिर कहा अटकी है बात

सरकार ने शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के साथ नौ दिसंबर को एक और बैठक का प्रस्ताव दिया है. दरअसल पांचवे दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकला क्योंकि इसमें शामिल किसानों के प्रतिनिधि मौन व्रत धारण कर रखा था और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग का स्पष्ट हां’ या नहीं’ में जवाब चाह रहे थे.

पंजाब किसान यूनियन के नेता रुलधू सिंह ने कहा, ‘‘किसान यूनियन के नेता ‘मौन व्रत’ पर बैठे हैं.’’ ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की कविता करुगंती ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के सीधे-सीधे सवालों का जवाब नहीं दे रही.

किसानों ने सरकार से हां या नहीं में मांगा जवाब

पंजाब किसान यूनियन के कानूनी सलाहकार गुरलाभ सिंह महल ने कहा कि किसान नेता सरकार से ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब चाहते हैं. बैठक में मौजूद कुछ किसान नेता अपने होठों पर अंगुली रखे हुए और ‘हां’ या ‘नहीं’ लिखा कागज हाथ में लिये हुए दिखे. करुगंती ने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने मौन रहने का फैसला किया है. सरकारी पक्ष हमसे बुलवाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हमारी तरफ से पूरी तरह मौन है.’’

किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा था कि वे सरकार पर दबाव डालने के लिए दिल्ली की सड़कों के साथ देश भर के राजमार्गों को जाम कर देंगे. किसान एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से दिल्ली के बॉर्डर (Delhi-Haryana Border) पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार कानूनों को बनाए रखने को लेकर दृढ़ है. लेकिन वह उन अन्य संभावनाओं पर विचार कर रही है, ताकि किसानों को मनाया जा सके. इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिखित आश्वासन शामिल है. इस पर किसानों की सबसे बड़ी चिंता है.

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