भारतीय सेना सिर्फ सरहद पर देश के नागरिकों की रक्षा नहीं करते अगर देश का कोई नागरिक आर्थिक संकट में भी होता है तो भारतीय सेना हमेशा उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा ही कुछ झारखंड में देखने को मिला जहां एक किसान अपनी फसल ना बेच पाने के कारण लाखों का नुकसान सहने जा रहा था। लेकिन भारतीय सेना की एक रेजीमेंट ने ऐसा नहीं होने दिया।
दरअसल इस बार किसानों पर कुदरत की तरफ से दोहरी मार पड़ी है। लॉकडाउन के कारण किसान अपनी तरबूज की फसल को बाजार में व्यापारियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मई में आई चक्रवाती तूफान ने खेतों में तरबूज की तैयार फसल को बर्बाद कर दी। झारखंड से बोकारो के किसान रंजन कुमार महतो अपनी तरबूज की फसल को लेकर बेहद परेशान थे। लेकिन भारतीय सेना ने देवदूत बनकर उनके 5 टन तरबूज बाजार मूल्य पर खरीद लिया।
बोकारो के किसान रंजन ने इस बार 6 एकड़ में तरबूज की शानदार खेती की थी फसल तो अच्छी रही लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। लॉकडाउन के कारण रंजन कुमार अपनी तरबूज की फसल बाजार तक नहीं पहुंचा पाए। हालांकि उन्होंने गांव जा-जा कर दो रुपए किलो तरबूज बेचने की कोशिश की। लेकिन इतने कम दाम पर भी उनका तरबूज नहीं बिक सका। अपनी फसल को इस तरह बर्बाद होता देख रंजन से रहा नहीं गया और उन्होंने फैसला किया कि अपने तरबूज को सेना को जवानों में मुफ्त दे देंगे। यही सोचकर उन्होंने रामगढ़ स्थित फिक्स रेजिमेंटल सेंटर से संपर्क किया।
रंजन कुमार आर्मी के जवानों को मुफ्त में तरबूज देने के लिए गए थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि भारतीय जवान उनकी तरबूज की फसल को बाजार के दाम पर खरीदेंगे। तरबूज के संबंध में बात होने के बाद सिख रेजीमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर एम श्री कुमार सहित एसआरसी अधिकारियों ने किसान रंजन कुमार के खेत का दौरा किया इसके बाद उन्होंने उनके सारे तरबूज बाजार मूल्य पर खरीद लिए।
रामगढ़ छावनी बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर कुमार ने बताया कि हम उनके हौसलों को सलाम करते हैं उनके हौसले ने हमें बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि रंजन कुमार ने 2 साल पहले खेती शुरू की थी लेकिन कोरोना के कारण उन्हें बहुत नुकसान हुआ। उन्होंने नौकरी ना करके खेती करने का फैसला किया था उनके इसी हौसले से प्रभावित होकर सेना के जवानों ने उनसे 5 टन तरबूज खरीद लिए।
एम श्री कुमार ने बताया कि रंजन ने 25 एकड़ जमीन 5000 प्रति एकड़ के वार्षिक किराए पर ली है। जिस पर उन्होंने 15 लाख रुपए लगाकर तरबूज की खेती की। उनकी तरबूज की फसल का अधिकांश हिस्सा अभी भी खरीदारों के इंतजार में खेतों में ही हैं। भारतीय सेना ने भले ही सारी तरबूज ना खरीदी पर 5 टन तरबूज खरीद खरीद कर किसान रंजन कुमार की मदद की। इस मदद के बाद रंजन कुमार को काफी हद तक राहत मिली होगी।
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