ISRO News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन आदित्य L 1 को शनिवार को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया है। आदित्य L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूर्य पृथ्वी प्रणाली के “लैग्रेज पॉइंट 1 ट ” के आसपास एक प्रभामंडल के कक्षा में पहुंच गया है। L1 पॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।
मौसम के प्रभाव का होगा अवलोकन(ISRO News)
इसरो के सीनियर अधिकारियों ने जानकारी दिया है कि “L1 POINT” के चारों तरफ प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। इसके वजह से लगातार सौर गतिविधियों और साथ ही अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन किया जा सकेगा। सूर्य की गतिविधियों का अवलोकन करने पर इससे काफी लाभ मिलेगा।
लैग्रेज पॉइंट वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है। प्रभामंडल कक्ष, L1,L2 या L3 लैग्रेज पॉइंट में से एक के पास एक आवधिक त्रि आयामी कक्षा है। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण 2 सितंबर को ही श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य L1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
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PSLV के द्वारा 63 मिनट 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी के आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य L1 को स्थापित कर दिया था। आदित्य L1 को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर L1 पर सौर्य वायु को वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
सौर्य गतिविधियों का लगेगा पता
अधिकारियों का कहना है कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर्य वातावरण में गतिशीलता,सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंपीय कोरोना मास इंजेक्शन आदि की जानकारियां प्राप्त करना है और अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।
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