Saryu river Ayodhya: वैसे तो भारत की हर नदी का अपना अलग इतिहास है लेकिन अयोध्या की सरयू नदी काफी खास है. इस सरयू नदी में भगवान राम ने जल समाधि लिया था और नदी का इतिहास भगवान राम के अवतरण से भी पुराना है. आज सैकड़ो साल के बनवास के बाद प्रभु श्री राम अयोध्या में अपने मंदिर में विराजमान हो गए हैं.
अयोध्या में हो गया भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा हो गया है और आज पूरे देश में उत्सव मनाया जा रहा है. भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सरयू का जिक्र नहीं किया जाए ऐसा कभी नहीं हो सकता. रामायण की कथाओं में सरयू नदी का विशेष महत्व है. हम आपको बताएंगे की सरयू नदी का उद्गम स्थल कहां है.
कहां है सरयू नदी का उद्गम स्थल: Saryu river Ayodhya
भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सरयू नदी शारदा की सहायक नदी है और इसे उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर सरजू कहा जाता है. यह नदी उत्तराखंड में शारदा नदी से अलग होकर उत्तर प्रदेश की भूमि के माध्यम से अपना प्रवाह जारी रखती है इसलिए यह उत्तर प्रदेश की आबादी के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत भी है. यह नदी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बीच से गुजरती हुई 350 किलोमीटर तक जाती है. सरयू नदी उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख जलमार्गों में से एक है.
बेहद पवित्र मानी जाती है यह नदी
सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्र जैसे वेद और रामायण में भी किया गया है. सरयू नदी गंगा के साथ सहायक नदियों में से एक है और यह इतनी पवित्र मानी जाती है कि यहां स्नान करने से इंसान का सभी पाप दूर हो जाता है.
सरयू किनारे राम की पौड़ी की कहानी है प्रचलित: Saryu river Ayodhya
राम की पौड़ी को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब लक्ष्मण जी सभी तीर्थ में दर्शन करने का मन बनाए तो अयोध्या में सरयू तट पर खड़े होकर प्रभु श्रीराम कहे- जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व इस नदी में स्नान करेगा उसे सभी तीर्थ के समान पुण्य प्राप्त होगा.
Also Read: भगवान श्री राम के आभूषणों में इन रत्नों का किया गया है प्रयोग, इतना महंगा है प्रभु का सिंगार
भगवान के वनवास का साक्षी है सरयू नदी
ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए निकले तो सरयू नदी के किनारे ही जंगल की तरफ गए थे. बाद में लंका पर विजय प्राप्त कर भगवान इसी रास्ते से अयोध्या आए थे और रामराज की स्थापना हुई थी.
Share on