अमूनन लोग बाज़ार से जाकर सब्जी खरीदते, लेकिन एक बार सोचकर देखिए कि जब आपको पता चलें कि आप सड़क किनारे जिस सब्जी वाले से सब्जी खरीद हैं वो एक आईएएस पदाधिकारी है, तो फ़ौरन ही आप कैसा महसूस करेंगे। क्या कभी आप कल्पना मे भी सोच सकते हैं कि कोई आईएएस अधिकारी कभी सड़क पर सब्जी बेच सकते हैं। लेकिन इन दिनो उत्तर प्रदेश के एक आईएएस की ऐसी ही तस्वीरें वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
वायरल हुई तस्वीर मे आईएएस पदाधिकारी इन तस्वीरों में सब्जी बेचते हुए नज़र आ रहे हैं। लोग इस तस्वीर को देखकर ताज्जुब जता रहे हैं। लोगों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा है कि कोई प्रशासनिक पदाधिकारी इस तरह सड़क किनारे सब्जी बेच सकते हैं। लोगों के मन मे यह सवाल भी उठ रहा है कि ऐसी क्या जरुरत आ पड़ी कि आईएएस को सब्जी बेचनी पड़ी। इसके वास्तविक कारण को जानकर आप भी अचम्भित रह जाएंगे।
वायरल तस्वीरो मे देखा जा सकता है दुकान पर टमाटर, तरोई, बैगन, लौकी, धनिया और मिर्ची सहित कई सब्जियां रखी हुई हैं। एक अन्य तस्वीर में वह सब्जी उठाकर ग्राहक को दे रहे हैं। फिर एक दूसरी तस्वीर मे थोड़ी ही दूरी पर उनका जूता रखा हुआ था। दिलचस्प बात है कि ये सारी तस्वीरें उन्होंने खुद फेसबुक पर पोस्ट कि और देखते ही देखते यह वायरल हो गया और तब से इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन पर काफी लाइक और कमेंट्स भी हो गए , लेकिन कुछ ही देर बाद तस्वीरें डीलिट कर ली गई लेकिन तब तक तस्वीर वायरल हो गया।
इस तस्वीर मे आईएएस अखिलेश मिश्र है, बाद मे उन्होंने सफाई भी दी और कहा कि वे किसी सरकारी काम से प्रयागराज गए थे, लेकिन वापसी करते वक्त वे रास्ते मे एक जगह सब्ज़ी देखने के लिए रुक गए। दरअसल एक वृद्ध महिला सब्ज़ी ने उनसे अनुरोध किया कि ” मैं उसकी सब्ज़ी पर नज़र रखूं। उनका बच्चा थोड़ी दूर चला गया था। उन्होंने कहा कि एक पल में आती हूं।”
आईएएस पदाधिकारी का कहना है तब वे यूँ ही दुकान पर बैठ गए। इस बीच कई ग्राहक और वो सब्ज़ी विक्रेता महिला भी आ गईं। आईएएस पदाधिकारी ने बताया कि जब यह सब हो रहा था तभी उनके एक परम मित्र ने फ़ोटो खींच ली और मज़ाक़ ही मज़ाक में उनके ही फ़ोन से यह फोटो फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दी। जब उन्होंने खुद इस पोस्ट को देखा तो उसे फौरन ही हटा दिया।
बता दे कि आईएएस अखिलेश मिश्रा की छवि एक सक्रिय अधिकारी की है। उनके बारे मे एक बात मशहूर है कि वह आम लोगों से जुड़ने और समस्याओं का समाधान करने को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं। साहित्यिक और समसामयिक परिचर्चाओं में भी वे शामिल होते रहते हैं।