बिहार की इन दो सगी बहनों ने एक साथ पास की SI की परीक्षा, एक ही घर की 2 बेटियां बनीं दारोगा

बिहार (Bihar) के नवादा में इस समय दो बहनों (Nawada Two Sister Success Story) का नाम हर जगह छाया हुआ है। यह दोनों बहने जिले के पकरीबरावां की रहने वाली है और खास बात यह है कि यह दोनों बहने प्रिया और पूजा एक साथ ही दरोगा (Priya And Pooja Become SI) बन गई हैं। इस खबर से उनके परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में खुशी का माहौल है और दोनों बहनों के दरोगा भर्ती परीक्षा (Two Sisters Pass Daroga Pariksha) में पास होने के बाद उनके नाते-रिश्तेदारों के अलावा पूरे गांव से भी लोग बधाइयां देने आ रहे हैं।

Priya And Pooja Become SI

दो सगी बहनें बनी दरोगा

नवादा के एक छोटे से गांव से एक ही परिवार की दो बेटियों के दरोगा बनने की खबर ने हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। हर कोई इन दोनों बहनों की सच्ची लगन और इनकी मेहनत की बात कर रहा है। दोनों बहनों ने एक साथ पहले दरोगा बनने का सपना देखा और फिर अपनी मेहनत के दम पर इसे सच भी कर दिखाया।

मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है प्रिया-पूजा

पकरीबरावां गांव में रहने वाली यह दोनों बहने एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। दोनों ने अपनी सफलता की कहानी अपनी बाधाओं को दरकिनार करते हुए अपनी मेहनत और लगन के दम पर लिखी है। प्रिया और पूजा शुरू से ही बिहार पुलिस में शामिल होना चाहती थी। इसी सपने को संजोय हुए उन्होंने बिहार दरोगा भर्ती परीक्षा में बैठने का फैसला किया। वही हाल ही में घोषित हुए परिणाम में बेटी का नाम देख परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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बधाई देने वालों का लगा तांता

मालूम हो कि मेरिट लिस्ट का प्रकाशन जैसे ही हुआ तो पूरे परिवार को यह खुशखबरी मिली। कुछ ही देर में यह बात पूरे गांव में फैल गई और दूरदराज से लोग परिवार को बधाई देने आने लगे। प्रिया और पूजा की मां रेखा देवी एक ग्रहणी है और उनके पिता मदन साहू एक व्यवसायी। वहीं माता-पिता अपनी बेटियों की इस कामयाबी पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

माता-पिता को दिया कामयाबी का श्रेय

बता दे पूजा ने पहले ही यह परीक्षा पास कर ली थी, जबकि प्रिया ने दूसरे प्रयास के दौरान यह परीक्षा पास की है। पूजा और प्रिया की प्रारंभिक पढ़ाई उनके पैतृक गांव से ही हुई है। दोनों बहनों ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपनी अपने माता-पिता को दिया है। उनका कहना है कि उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटियां अपने पैरों पर खड़ी हो। इसके लिए उन्होंने कभी भी किसी तरह की कोई कमी महसूस नहीं होने दी।

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