मिलिये ‘कारगिल युद्ध’ के उन शूरवीरों से जिन्होंने हाथ-पैर गंवाए पर हौसला नहीं छोड़ा, क्या जानते है इन दोनों वीरों के नाम?

Kargil War Heroes Deepchand and Uday Singh: भारतीय इतिहास के पन्नों में कई ऐसे शूरवीरों के जांबाज जज्बे की कहानियां दर्ज है, जिन्होंने अपने शौर्य और अदम्य साहस के दम पर देश से दुश्मनों को ना सिर्फ मार भगाया है, बल्कि उनके इरादों को भी नेस्त-ओ-नाबूद कर दिया है। इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसी ही कहानी कारगिल युद्ध की भी है, जिसमें देश के सैकड़ों जवान शहीद हो गए थे। ऐसे में आइए हम आपको इस युद्ध में अपने शौर्य का पराक्रम दिखाने वाले दो शूरवीर योद्धा दीपचंद सिंह और योद्धा उदय सिंह (Kargil War Heroes Deepchand and Uday Singh) की कहानी सुनाते हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान न सिर्फ मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया बल्कि इस लड़ाई में अपने दोनों पैर और हाथ भी गंवा दिए।

Kargil War Hero Deepchand

कौन है ‘कारगिल युद्ध’ के हीरो दीपचंद?

शौर्य और पराक्रम से भरे कारगिल युद्ध की कहानी के नायक कहे जाने वाले दीपचंद हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले हैं। रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद नेताजी सुभाष चंद्र से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में साल 1989 में मिसाइल रेजिमेंट में गनर के तौर पर नियुक्त हुए थे। जम्मू कश्मीर में आतंकी पैर पसारने लगे तब दीपचंद की पोस्टिंग वहीं पर थी इस दौरान उन्होंने अपने जांबाज जज्बे का कुछ ऐसा दम दिखाया कि उन्होंने इस मुठभेड़ में आठ आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।

कारगिल युद्ध के वीर योद्धाओं में दीपचंद सिंह वह वीर जवान थे, जिन्होंने ऑपरेशन विजय में लीग के ऊपर सबसे पहला गोला दागा था। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना की अंधाधुंध गोलीबारी के बीच ना केवल खुद की जान बचाई बल्कि अपने कई साथियों को भी वहां से जिंदा वापस लेकर आए। हालांकि इस जंग में उन्होंने अपना एक हाथ और दोनों पैर गवा दिए। इसके बावजूद भी उनका हौसला आज भी बरकरार है। आज दीपचंद प्रोस्थेटिक पैरों के जरिए एक बार फिर से देश के लिए जंग के मैदान में उतरने का जज्बा रखते हैं।

Kargil War Hero Uday Singh

कौन है कारगिल युद्ध के हीरो उदय सिंह?

कारगिल युद्ध के वीर जवानों में एक नाम शूरवीर उदय सिंह का भी है, जिन की तैनाती साल 1999 में टाइगर हिल इलाके में थी। ये वह इलाका था जो कारगिल युद्ध की जीत का सबसे अहम बिंदु साबित हुआ था। इस युद्ध क्षेत्र में भारतीय सेना ने अपने सबसे ज्यादा जवानों को खोया था। इसी युद्ध क्षेत्र में उदय सिंह की भी तैनाती थी। वह जब अपने साथियों के साथ टाइगर हिल की चढ़ाई कर रहे थे, इसी दौरान पाकिस्तानी सेना ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई इस गोलीबारी में उदय सिंह ने अपने 10 साथी जवानों को खो दिया, लेकिन उन्होंने इन हालातों में भी अपने धैर्य और साहस को नहीं खोया और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौके पर मार गिराया।

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साथ ही वीर जवान उदय सिंह ने इस दौरान इन मुश्किल हालातों में भी अपने कई साथियों की जान बचाई। इस जंग में उन्होंने अपने दोनों पैर गवा दिए। बता दे यह दोनों वीर योद्धा आज एक साथ मिलकर आदर्श सैनिक फाउंडेशन के माध्यम से ड्यूटी के दौरान विकलांग हुए सैनिकों के कल्याण और उनकी देखरेख को लेकर काम करते हैं।

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