Kajari Teej 2023: रखा है कजरी तीज का व्रत, तो जाने पूजा का शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक और खास उपाय

Kajari Teej 2023 Pooja ka shubh muhurat and Pooja vidhi: हिंदू धर्म में हर महीने कई अलग-अलग महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार पड़ते हैं। फिलहाल भाद्रपद यानी भादो का महीना चल रहा है, जो व्रत और त्योहारों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस महीने सबसे पहला त्यौहार कजरी तीज का पड़ रहा है। आज देश के कई हिस्सों में कजरी तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है। कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह तिथि आज है।

कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना की जाती है। ऐसे में आइये हम आपको कजरी तीज के दिन पूजा कब करनी चाहिए? कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? और पूजा करने की विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं।

कजरी तीज 2023 की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया पक्ष की शुरुआत 1 सितंबर रात 11:50 पर हो गई थी और इसका समापन 2 सितंबर को रात 8:49 पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर को ही रखा जा रहा है। वही बात कजरी तीज की पूजा के शुभ मुहूर्त की करें, तो बता दें कि इसका पहला मुहूर्त 7:57 पर शुरू और 9:31 तक रहा था और दूसरा शुभ मुहूर्त रात को 9:45 से शुरू होकर 11:12 तक रहेगा।

कजरी तीज की पूजा विधि क्या है?

अब बात कजरी तीज की पूजा विधि की करें तो बता दे कि इस मौके पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजा से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है। इसमें घी और गुड़ का इस्तेमाल भी किया जाता है। उसके बाद नीम की टहनी को यहां पर रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालकर पूजा की शुरुआत की जाती है। इसके बाद किनारे पर एक घी का दिया जलाया जाता है। साथ ही पूजा की थाली में नींबू, ककड़ी, सेब, केला, सत्तू, रोली, मोली और अक्षत रखा जाता है। इस दौरान सबसे पहले नीमड़ी माता को जल और रोली चढ़कर चावल चढ़ाते हैं।

पूजा करने के बाद इन बातों का रखें ध्यान

नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया उंगली से लगाई जाती है। मेहंदी रोली और बिंदी अनामिका अंगुली से लगाए और काजल की बिंदी तर्जनी उंगली से लगानी होती है। नीमड़ी माता को मौली चढ़ाने के बाद मेहंदी काजल और वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। दीवार पर लगी बिंदिया के सहारे लच्छा लगते हैं। नीमड़ी माता को फल और दक्षिणा देकर पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लाच्छा बांधते हैं। पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि रखते हैं और चंद्र भगवान को अर्घ देते हैं।

क्या है कजरी तीज के खास उपाय?

  • बात कजरी तीज के खास उपायों की करें तो बता दे कि अगर किसी महिला के वैवाहिक संबंध में किसी प्रकार की पारिवारिक समस्या चल रही होती है, तो कजरी तीज के दिन सूर्यास्त के समय माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने से वैवाहिक जीवन सुख में हो जाता है। वही जीवन की सारी परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।
  • इसके अलावा महिला की सेहत अगर बार-बार खराब होती है, तो ऐसी महिला कजरी तीज के दिन राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर उन्हें मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के 15 मिनट बाद मिश्री को थोड़े-थोड़े रूप में एक सप्ताह तक उसका सेवन करें। उसकी बीमारी से उसे निजात मिल जाती है।
  • कजरी तीज के दिन काले वस्त्रो का दान करना शुभ होता है, इससे धन संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है और कारोबार के दरवाजे खुल जाते हैं।
Kavita Tiwari