जेडीयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह रहे हैं नीतीश कुमार के क्लासमेट, ऐसा रहा है राजनीतिक सफर

जदयू के राष्ट्रीय कार्यालय दिल्ली में शनिवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गई जिसमें ललन सिंह जदयु के नए अध्यक्ष चुने गये। पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने ही अध्यक्ष पद के लिए ललन सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा। राजीव रंजन ललन सिंह मुंगेर संसदीय सीट से सांसद है, उन्हें नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है, इसके साथ- साथ उन्हें चुनाव प्रबंधन में भी महारत हासिल है।

ललन सिंह का जन्म 24 जनवरी 1955 में हुआ था। उन्होंने भी नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद के साथ जेपी आंदोलन मे सक्रिय भूमिका निभाई थी और यही से उनके राजनीतीक यात्रा की शुरुआत हुई। एक दिलचस्प बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह क्लासमेट भी रह चुके हैं।

भागलपुर के TNB से किया स्नातक

सांसद ललन सिंह ने टीएनबी कालेज, भागलपुर विश्वविद्यालय से कला सन्काय मे स्नातक किया था। वे कालेज छात्र संघ के महासचिव भी रह चुके हैं। ललन सिंह, नीतीश कुमार के राजनीतिक रणनीतिकार तब से है जब से बिहार के सत्ता की कमान नीतीश कुमार के पास आई। 2019 में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत तीसरी बार संसद पहुंचने वाले जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह 17वीं लोकसभा में पार्टी के नेता बनाए गए। नीतीश कुमार के साथ उनके मजबूत सम्बन्धो की हमेशा चर्चा होती रही है, और अब कहा जा रहा कि इस मजबूत सम्बन्ध के चलते आज वे पार्टी के अध्यक्ष चुने गए हैं।

इस वजह से नितीश से सम्बन्धों मे दरार

साल 2009 में ललन सिंह पर पार्टी फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा था, इसके बाद ललन सिंह और नीतीश कुमार के सम्बन्धो मे दरार आ गई थी यहाँ तक कि ललन सिंह ने पार्टी तक छोड़ दी थी। इसके बाद 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने ललन सिंह और नीतीश कुमार के मतभेद खुलकर सामने आने लगे।

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ललन सिंह ने इस चुनाव मे कांग्रेस का प्रचार किया और नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी भी सामने आई। लालू प्रसाद यादव ने एक बार कहा था कि नीतीश कुमार के पेट में दांत है। जिसके बाद ललन सिंह ने भी कहा कि नीतीश कुमार के पेट के दांत वे ही तोड़ सकते हैं। लेकिन मतभेद का यह सिलसिला लम्बा नहीं चला। कुछ समय बाद ही नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच सुलह हो गई और नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद भेजकर बिहार सरकार में मंत्री का पद दिया।

चारा घोटाले का किया पर्दाफास

गौरतलब है कि चारा घोटाला मामले में लालू यादव के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका डालने वालों में ललन सिंह का नाम भी शामिल था। उन्होने सार्वजनिक सभा में खुलेआम कहा था कि उन्हे मालूम है कि लालू यादव ने चारा घोटाले के पैसा कहां छिपाकर रखे है। इसके बाद जवाबी प्रतिक्रिया के रूप मे लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी ललन सिंह और नीतीश कुमार की दोस्ती पर एक विवादित बयान दे दिया था।

महागठबंधन से जेडीयू को अलग करवाने मे अहम भूमिका

2015 के मे बिहार में जेडीयू-आरजेडी की सरकार बनी थी, लेकिन ललन सिंह इसमे असहज महसूस कर रहे थे। जब बीजेपी नेता और पूर्व उपमुखंयमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार के घोटाले का पर्दाफाश करने लगे तो परिस्थितियां बदलनी लगी। करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की नीति रखने वाले नीतीश कुमार से सवालो की झड़ी लगाई जाने लगी जिसका जवाब देना उनके लिए मुश्किल हो गया। इसी दौरान ललन सिंह ने ही तत्कालीन केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली से मिलकर बातचीत की और आरजेडी- जेडीयू गठबंधन को खत्म करवा कर नीतीश कुमार से इस्तीफा दिलवाया तथा फिर 2017 में जेडीयू को वापस एनडीए में शामिल कराकर बिहार में एनडीए की सरकार और नीतीश कुमार को छठी बार मुख्यमंत्री बनवाया था।

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