बिहार की शिप्रा ने उड़ान के लिए हाथों को बनाया पैर, IAS बनने की है चाहत, दिल को छू लेगी इनकी कहानी

कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो आपकी शारिरीक अपंगता भी आपके सपनों का रोड़ा नही बनती… इन शब्दों को बिहार के मुजफ्फरपुर की 8 साल की शिप्रा असल मायने में चरितार्थ करती है। शिप्र दोनों पैरों से दिव्यांग (Divyang Girl Shipra) है लेकिन उनका सपना आईएएस (IAS) अधिकारी बनने का है। शिप्रा का मानना है दोनों पैर नहीं है तो क्या हुआ लेकिन हौसला बेहद मजबूत है। यह असल कहानी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर ब्लॉक के बनघारा गांव निवासी शिप्रा (Muzzafarpur Girl Divyang Girl Shipra) की है। 8 साल की शिप्रा जब चार साल की थी तब एक हादसे में दोनों पैर गवा दिए, लेकिन शारीरिक अपंगता होने के बाद भी हौसले में कभी कमी नहीं आई।

परिवार के साथ और अपने हाथों की उड़ान से शिप्रा भरेंगी उडान

दूसरी ओर शिप्रा के परिवार के लोग भी उनका पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। कोई भी काम हो उसे छोड़कर पिता साइकिल से ही बच्ची को स्कूल ले जाते हैं। शिप्रा किसी पर भार नहीं बनना चाहती। दोनों पैर नहीं है बावजूद इसके सारा काम खुद हाथों के मदद से ही करती है। चलती भी है तो दोनों हाथों के सहारे। शिप्रा के घरवाले बताते हैं कि जब वह 4 साल की थी तो विद्यालय जाते वक्त स्कूल के नजदीक एक ट्रक से एक्सीडेंट में उनके दोनों पैर काटने पड़े।

यह सड़क दुर्घटना 2018 में हुई थी। आज शिप्रा के परिवार के सामने वित्तीय परेशानी है, बावजूद इसके सारी बाधाओं को पार करते हुए एक-एक रुपए जोड़कर वे लोग शिप्रा को पढ़ा रहे हैं। परिवार के लोग भी भविष्य में शिप्रा को आईएएस अधिकारी बनते हुए देखना चाहते हैं।

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आज भी जख्म हरे कर देती है 4 चार पुरानी याद

शिप्रा की मां अनिता कुमारी घटना को लेकर कहती है कि 4 साल पहले विद्यालय जाने के दौरान यह सड़क हादसा हुआ था। वहां से हम लोग हॉस्पिटल चले गए। पुलिस वालों ने ट्रक को छोड़ दिया। हमें मुआवजा राशी भी नहीं मिली। हमारे पास 4 से 5 कट्ठा ही जमीन है। उसी से हमारा गुजर-बसर होता है। सरकार से सहयोग की उम्मीद है, जिससे बच्चों का सपना हकीकत में बदल सकें।

IAS बनना चाहती है शिप्रा

शिप्रा कहती है कि बड़ी होकर मैं आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं। यदि आर्टिफिशियल वाला पैर लग जाता है और ट्राई साइकिल मिल जाती तो खुद ही रोज विद्यालय जाती। भविष्य में आईएएस अधिकारी बनकर राष्ट्र की सेवा करना ही मेरा सपना है।

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