Check Bounce: चेक पैसे निकालने का सबसे सुरक्षित तरीका में से एक माना जाता है. आप कई बार चेक लेकर बैंक गए होंगे और बैंक अकाउंट में पैसे डलवाए होंगे. स्कूल कॉलेज हो या कोई प्रॉपर्टी का लेनदेन लोग ज्यादातर चेक को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि चेक बाउंस हो जाता है.
चेक बाउंस होने पर मिलती है सजा(Check Bounce)
चेक बाउंस होने को अपराध माना जाता है. अगर चेक बाउंस हो जाता है तो इसके लिए सजा का प्रावधान है. इस पर न केवल सजा होगा बल्कि जुर्माना भी देना पड़ता है. चेक बाउंस हो जाता है तो उसे शख्स को दोषी माना जाता है जो चेक देता है. यानी कि अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है तो आप दो से नहीं माने जाएंगे बल्कि आपको जिसने चेक दिया है वह दोषी माना जाएगा.
चेक बाउंस होने पर भेजा जाता है लीगल नोटिस
चेक बाउंस होने पर उसे शख्स को एक लीगल नोटिस भेजा जाता है. इसका जवाब शख्स को 15 दिन के अंदर देना होता है और अगर वह शख्स ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के तहत मामला दर्ज कराया जाता है.
2 साल की होती है जेल
चेक बाउंस होने के केस में एक्ट की धारा 148 के अंतर्गत केस किया जाता है. यह एक दंडनीय अपराध है जिसमें दोषी को 2 साल की जेल होती है. इतना ही नहीं चेक बाउंस होने पर ₹800 तक का पेनल्टी लग जाता है. पेनल्टी से अलग-अलग चेक बाउंस होने पर जुर्माना लगाया जाता है यह चेक पर लिखी रकम का दोगुना हो सकता है.
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अगर चेक बाउंस हो जाता है तो कम से कम 7 साल का सजा भी हो सकता है क्योंकि यह एक जमानती अपराध है. इसमें अंतिम फैसला नहीं होने तक जेल नहीं होता है. अगर इस मामले में किसी को सजा मिलती है तो वह ट्रायल कोर्ट के सामने दंड प्रक्रिया संहिता 389 (3)के तहत आवेदन कर सकता है.
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