बिहार (Bihar) में अब पहले की तरह निजी स्कूलों (Bihar Private School) का संचालन करना आसान नहीं रहेगा। अब वह निजी विद्यालयों को सीबीएसई (CBSE) या आइसीएसई (ICSE) से मान्यता प्राप्त करने में पसीने छूट जाएंगे। एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने के लिए कड़े नियमावली बनाए जा रहे हैं। अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate) लेने के लिए विद्यालय प्रबंधन को शिक्षा विभाग (Education Department) से स्थलीय अवलोकन और भौतिक सत्यापन कराना आवश्यक होगा। ऑनलाइन आवेदन (Online Application) में ही स्कूल के बारे में जानकारी दी जाएगी उसके बाद जांच टीम आकर जांच करेगी फिर संतुष्ट होने के पश्चात ही रिपोर्ट देगी।
प्राइवेट स्कूल खोलने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अब केवल रजिस्टर्ड सोसाइटी को ही निजी स्कूल खोलने की मान्यता मिलेगी। विद्यालयों के प्रस्ताव पर उसी वक्त सोचा जाएगा जब वह तमाम मापदंड को पूरा करते होंगे। इसमें शहरी क्षेत्र में कम से कम 1 एकड़ जमीन, अनुमंडल इलाके में डेढ़ एकड़ और और ग्रामीण इलाके में 2 एकड़ जमीन उपलब्ध होनी चाहिए। अगर कम जमीन होता है तो मान्यता नहीं दी जाएगी। कम जमीन होने पर एनओसी तो दूर की बात है एप्लीकेशन भी खारिज कर दिया जाएगा।
अधिकारियों की मानें तो विभिन्न जिलों से 228 निजी स्कूलों के बारे में जानकारी आई है कि वे निर्धारित चीजों पर खरा नहीं उतरते हैं। ऐसे स्कूलों के बारे में सीबीएसई ओर आईसीएसई को रिपोर्ट दिया जाएगा ऐसे स्कूलों को मान्यता देने से पहले एनओसी जरूर प्राप्त करें। दर्जनों से अधिक विद्यालय ऐसे हैं जो शहर के बीचोबीच है, इसे दूसरे जगह स्थापित करना होगा या फिर अंतिम विकल्प बंदी की तलवार लटकेगी।
इसके अलावा स्कूलों को अब संगीत टीचर, स्पोर्ट्स टीचर, प्रयोगशाला सहायक, कार्यालय सहायक के साथ एक सलाहकार नियुक्त करना होगा जो मनोविज्ञान विषय में स्नातक किए हो या फिर उनके पास काउंसलिंग में डिप्लोमा की डिग्री हो। बताते चलें कि सरकार इस दिशा में कोशिश कर रही है कि प्रदेश में निजी विद्यालयों की संख्या भले ही कम हो लेकिन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलें।