बिहार: पुश्‍तैनी जमीन के बंटवारे के लिए बनेगा नया कानून, जाने अब कैसे होगा परिवार का बटवारा

राज्य मे बढ़ते भूमि विवाद पर राज्य सरकार ने चिन्ता जाहिर की है और इसे सुलझाने के लिए आपसी सहमति के आधार पर एक नया क़ानून लाने की तैयारी की जा रही है। बुधवार को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने ये बातें बताई और कहा कि मामूली बातों को लेकर भूमि विवाद हो रहे हैं, इससे क़ानून व्यवस्था पर प्रभावित हो रही है और भूमि का सही से उपयोग नहीं हो पा रहा।

भूमि सुधार विभाग के द्वारा पारिवारिक बंटवारा की व्यवस्था मे बदलाव करने की तैयारी की जा रही, जिससे जमीनी विवादो की संख्या मे कमी लाई जा सके। सहमति आधारित जमीन बंटवारा को कानूनी रूप देने के बारे मे राज्य सरकार विचार कर रही है। पुश्तैनी ज़मीन से जुड़े विवाद का बड़ा कारण इसके बंटवारे मे आनेवाली अड़चन है। सरकार की कोशिश है कि परिवार के बहुमत सदस्यों की राय को कानूनी रूप दिया जा सके। उदाहरण के लिए अगर किसी परिवार मे 10 सदस्य हैं उनमे से कम से कम छ्ह सदस्य बंटवारे के किसी एक स्वरूप पर एकमत है तो ऐसी स्थिति मे सहमति पत्र तैयार करके उसे कानूनी मान्यता दे दी जायेगी।

ऐसे होगा बटवारा

राजस्व मंत्री ने बताया कि इस सहमति पत्र पर परिवार के बहुमत सदस्यों के साथ ही पंचायत के मुखिया, मुखिया चुनाव के निकटतम प्रतिद्वंद्वी, वार्ड सदस्य और चकबंदी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी के हस्ताक्षर होंगे। इसे कानूनी मान्यता मिल जाने पर अल्पमत सदस्यों के लिए इस तरह के सहमति पत्र को मानना कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस पर सर्वे अभियान चल रहा है तथा चकबंदी शुरू होने से पूर्व सभी प्रकार के पारिवारिक भूमि विवाद का निबटारा जरूरी है।

कानून की जानकारी रखने वाले लोगों का सरकार की इसके बारे मे कहना है कि यह बहुत ही अच्छी पहल है लेकिन इस कानून का अनुपालन कराना उतना आसान नहीं होगा। पंचायतों द्वारा बंटवारे को पहले से ही कानूनी मान्यता मिली हुई है, किंतु कभी कानूनी हक तो कभी सर्वसम्मति नहीं बनने के अडचन आ जाती है। सरकार की इस नई पहल से इस तरह की समस्या को सुलझा पाना आसान हो जाएगा।

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राजस्व मंत्री ने बताया कि विवाद की संख्या कम करने के लिए सरकार के द्वारा फैसला किया गया था कि जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी है, वही जमीन की रजिस्ट्री कर सकता है। लेकिन, भू माफिया द्वारा अदालत में इस आदेश को चुनौती देने के कारण इसे अमल मे नहीं लाया जा सका। अब सरकार की कोशिश है कि इस मामले में अदालती की रोक जल्द से जल्द हट जाए। दरअसल विवाद का एक बड़ा कारण यह भी है कि बिना जमाबंदी वाले रैयत जमीन की बिक्री कर दी जाती है और जमीन पर कब्जे को लेकर लंबी लड़ाई चलती है।

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