हरियाणा की आकांक्षा अरोड़ा बनी पहली महिला, जो लड़ रही हैं UN के महासचिव पद का चुनाव

विश्व की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में शुमार संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के सबसे ऊंचे पद के लिए दावेदारी पेश करने वाली आकांक्षा इन सब चीजों का अनुभव न होने के बाद भी मैदान में उतरी हैं और अभी के पदासीन महासचिव Antonio Guterres पर सीधे आरोप लगा रही हैं ।

अगर आकांक्षा का यह दाव सफल हो गया तो इतिहास में पहली बार होगा जब कोई महिला इस संस्था की महासचिव के पद पर पदासिन होंगी । अभी महासचिव के पद पर एंटोनियो गुटेरेस है और आगामी चुनाव में उनके खिलाफ सिर्फ एक उम्मीदवार है और वो है भारतीय अमेरिकी आकांछा । वो खुद को युवा पीढ़ी का उम्मीदवार बताते हुए मैदान में उतरी है और वर्तमान महासचिव पर तीखे वार कर रही है ।

अगर बात करे नेशनल सपोर्ट की तो वो अभी तक आकांक्षा को नहीं मिला है लेकिन लेकिन सोशल मीडिया के जरिए आकांक्षा ने कैंपेन 9 feb से ही शुरू कर दिया है । उन्होंने संस्था के नेतृत्व में बदलाव को जरूरी बताते हुए कहा की वर्तमान महासचिव कई मोर्चों पर फेल रहे है ।

आइए आपको बताते है कौन हैं आकांक्षा अरोड़ा?

उनका जन्म भारत में ही हरियाणा में हुआ था । आकांक्षा की उम्र जब छह साल थीं, तब उनका परिवार सऊदी अरब चला गया था। आकांक्षा की ग्रेजुएशन की पढ़ाई कनाडा के टोरंटो स्थित योर्क यूनिवर्सिटी से हुई । फिर उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी जाकर लोक प्रशासन में मास्टर्स की डिग्री ली । आपको ये भी जानना चाहिए की आकांक्षा के पास भारत की ओवरसीज़ नागरिकता भी है और कनाडा का पासपोर्ट भी है। अपनी उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने किसी खास देश से औपचारिक समर्थन की मांग नहीं की है।

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अभी आकांक्षा संयुक्त राष्ट्र के ही विकास कार्यक्रम यानी UNDP में ऑडिट कोऑर्डिनेटर के पद पर काम कर रही हैं । वे आंतरिक और बाहरी मामलों के मैनेजमेंट के ऑडिट का काम संभालती हैं। रिपोर्ट्स की माने तो यूएन के द्वारा ही उनकी नियुक्ति संस्था में वित्तीय सुधारों और वित्त संबंधी नियम कायदों को बेहतर करने के लिए किया गया था ।

उनके अनुभव पर सवाल उठाए गए तो उन्होंने कहा की उनकी काम उम्र ही उनकी ताकत है। वो कहती है दुनिया की आधी आबादी 30 साल से कम ही है तो लीडरशिप भी 30 से कम उम्र वालो के पास होना चाहिए ।

साल 2006 की बात है जब कांग्रेस के जाने माने नेता नेता शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के लिए दावेदारी पेश की थी । उसके बाद किसी भारतीय ने कदम ni उठाया । 15 साल बाद यही दावेदारी पेश करने वाली आकांक्षा के बारे में एक खास बात यह भी है कि वो दुनिया भर में रिफ्यूजियों के अधिकारों को लेकर काफी चर्चा करती हैं ।

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