Kargil Vijay Diwas 2023: आज 26 जुलाई को देश अपना 24वां विजय दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन भारतीय सेना के जवानों ने साल 1999 में अपनी जाबाजी, पराक्रम और बहादुरी का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया था। भारतीय सेना ने अपने जज्बे के दम पर ऑपरेशन विजय की एक ऐसी जांबाज लड़ाई लड़ी थी, जो आज इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
कारगिल दिवस की कहानी मई 1999 लिखी गई थी। इस दौरान कश्मीर के कारगिल जिले को कब्जा करने पाकिस्तानी सैनिक घुस आए थे, लेकिन भारत के जांबाज सैनिकों को जैसे ही इसकी भनक लगी, उन्होंने ऑपरेशन विजय चलाया और पाकिस्तान के सैनिकों के इस नापाक इरादों को धूल चटा दी। भारतीय सेना के इस शौर्य की कहानी को कई फिल्मों के जरिए भी दिखाया जा चुका है। लेकिन आज क्या आपको पता है आखिर भारतीय सैनिकों की कारगिल मे घुसने की बात कैसे बता चली ? पाकिस्तानी के पेटू आदत की वजह से ये राज खुला था, आइए जानते हैं पूरी कहानी –
कब शुरू हुआ था कारगिल युद्ध (Kargil Vijay Diwas 2023)
बता दे कारगिल की लड़ाई की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई थी। इस दौरान पाकिस्तान ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5000 से ज्यादा सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा करने की कोशिश की थी। ऐसे में जैसे ही भारतीय जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ की खबर मिली उन्होंने उन्हें खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय बना बनाया। इसके बाद अपने इस ऑपरेशन को अपने इरादों के साथ विजय ध्वज लहराने तक लड़ते रहें।
पाकिस्तानी के पेटू आदत ने खोले राज
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाक सैनिकों ने कारगिल में घुसपैठ कर इसे अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया था। 8 मई 1999 को पाक सैनिक कारगिल की आजम चौकी तक पहुँच गए थे। इन घुसपैथियों के साथ 6 नॉर्दन लाइट इंफैक्ट्री के कैप्टन इफ्तिखार और लॉन्च हवलदार अब्दुल हकीम भी शामिल थे। इस दौरान उन लोगो मे देखा कि कुछ भारतीय चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों को चरा रहे हैं। उन्हें देखकर पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बंदी बनाने की प्लानिंग की, लेकिन तभी उन्हें इस बात का ख्याल आया कि अगर उन्होंने इन्हें बंदी बनाया तो चरवाहे उनका राशन खा जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने राशन को बचाने के लिए उन्हें जाने दिया।
60 दिनों तक चला ‘ऑपरेशन विजय‘
बात यही खत्म नहीं हुई। इस घटना के डेढ़ घंटे बाद चरवाहे भारतीय सेना के जवान के साथ फिर वापस आए और आसपास के इलाकों का मुआना करके वे उस वक्त तो वहां से वापस चले गए। लेकिन थोड़ी देर बाद भारतीय सेना का लामा हेलीकॉप्टर इलाके में आया। यह हेलीकॉप्टर इतना नीचे उड़ाया गया था कि कैप्टन इफ्तिखार का बैज भी साफ दिखाई दे रहा था। इस तरह भारत के सैनिकों ने पाकिस्तान की घुसपैठ के नजारे का पूरा पता लगा लिया। यही से भारतीय सैनिकों ने ऑपरेशन विजय की तैयारी शुरू कर दी।
ये ऑपरेशन 60 दिनों तक चला। इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए और सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को उन्होंने मार गिराया। 26 जुलाई को भारत की जीत का ऐलान ‘ऑपरेशन विजय’ के विजय ध्वज के साथ कारगिल की चोटी पर तिरंगा लहराने के साथ किया गया। कारगिल दिवस (Kargil Vijay Diwas 2023) की कहानी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।
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