Ambedkar Jayanti: क्यों मनाई जाती है डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती, जानें महत्व और इसका इतिहास

Ambedkar Jayanti 2023: संविधान निर्माता दलितों के मसीहा और मानव अधिकार आंदोलन के प्रकांड विधाता बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। बाबा भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन काल में जन कल्याण के लिए अतुलनीय योगदान दिया था। यही वजह है कि उन्हें दलितों का मसीहा कहा जाता है। बाबा भीमराव अंबेडकर ने निचले तबके से ताल्लुक रखने वाले लोगों को समाज में पहचान दिलाने के लिए लंबा संघर्ष लड़ा और यही वजह थी कि उन्हें समाज सुधारक बाबा भीमराव अंबेडकर कहा जाता था। बाबासाहेब ने महिलाओं को सशक्त बनाने में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। बता दें इस साल बाबा भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती है। ऐसे में आइए हम आपको बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती क्यों मनाई जाती है और क्या है इसका इतिहास… के बारे में सब कुछ डिटेल में बताते हैं।

डॉ. साहेब बाबा भीमराव अंबेडकर का इतिहास

बाबा भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1981 को मध्यप्रदेश के महू में रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर हुआ था। वह अपने 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। जन्म के बाद उनका नाम माता-पिता ने भीमा रामजी अंबेडकर रखा, लेकिन अपनी मृत्यु के समय उन्हें डॉ. बाबासाहेब के नाम से वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि मिली। बाबा साहेब एक ऐसे परिवार में जन्मे थे, जो एक अछूत जाति मानी जाती थी। दरअसल उनका जन्म महार जाति में हुआ था। ऐसे में बचपन से ही उन्होंने समाज दुराव, भेदभाव, हीनता का सामना किया था। समाज की ऐसी सोच को देखते हुए उन्होंने बचपन से ही इस सोच के प्रति लड़ने का मन बना लिया।

Ambedkar Jayanti

बाबासाहेब बचपन से ही मेधावी छात्र थे। स्कूल में पढ़ाई में काबिल होने के बावजूद उनसे अछूत व्यवहार किया जाता था। उस दौर में छुआछूत जैसी समस्या हर जगह व्याप्त थी। छुआछूत जैसी समस्या से जूझते हुए उन्होंने हर बात को दरकिनार कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। स्कूली शिक्षा पूरी हुई तो इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी चले गए, जहां से उन्होंने कानून, इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने भारत में वापसी की और लेबर पार्टी का गठन किया। आजादी के बाद बाबा भीमराव अंबेडकर कानून मंत्री बनें। 2 बार राज्यसभा सांसद भी रहे। बाबा भीमराव अंबेडकर संविधान समिति के अध्यक्ष और समाज में हर जाति को समानता का अधिकार दिलाने की अलख उन्होंने ही जगाई थी।

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क्यों मनाई जाती है बाबा भीमराव अंबेडकर जयंती?

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती को मनाने के पीछे उनका संघर्ष भरा जीवन है, जिसमें उन्होंने कमजोर, पिछड़ा वर्ग को समान अधिकार दिलाने, जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध करने के साथ-साथ समाज को सुधारने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। बाबा भीमराव अंबेडकर जयंती को भारत में जातिगत भेदभाव, उत्पीड़न और सामाजिक बुराइयों से लड़ने वाली सोच के साथ समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं। बता दे बाबा भीमराव अंबेडकर की इसी सोच को साल 1990 में भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था।

Kavita Tiwari

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