दो बार स्कूल में फेल हुए जोमैटो के मालिक, फिर लंच करते समय आया आइडिया और खड़ी की कंपनी

जोमैटो, इस एप के बारे में आप सभी ने सुना होगा जिसने पूरे देश भर में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। करोड़ों लोगों तक उनके घरों में खाना पहुंचाने वाले इस एप के एक्टिव यूज़र्स अब करोड़ों में पहुंच गए है। पिछले कुछ महीनों से किसी ना किसी कारणों को लेकर जोमैटो लगातार चर्चा में है। लेकिन क्या आप ये जानते है कि इस एप को शुरू करने के पीछे किसका हाथ है और उन्हें इस एप को बनाने का आईडिया कैसे आया। आज हम आपको बताने जा रहे है इस जोमैटो एप के फाउंडर दीपिन्दर गोयल के बारे में जिन्होंने इस एप की शुरुवात की और देश भर के लोगों तक इसे पहुंचाया।

अपनी शुरुवाती पढ़ाई में दो बार फेल हो चुके दीपिन्दर अकसर अपने दोस्तों के साथ कैफेटेरिया में जाया करते थे जहां उन्हें मेनू कार्ड देखने के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती थी। लंबी कतार में खड़े होने के कारण वहां मौजूद लोगों का काफी वक्त बर्बाद होता था और यह सोच कर उन्हें बहुत खराब महसूस होता था। फिर दीपिन्दर ने लोगों का समय बचाने के लिए एक उपाय निकाला और कैफेटेरिया का मेनू कार्ड स्कैन कर साइट पर अपलोड कर दिया। उनके इस कदम के बाद साइट बहुत फेमस हो गई और यही से दीपिन्दर को फ़ूड पोर्टल का आईडिया आया।

स्कूल में दो बार हुए थे फेल :-

मूल रूप से पंजाब से ताल्लुक रखने वाले दीपिन्दर को पढ़ाई में बिल्कुल मन नही लगता था। माता पिता दोनो के टीचर होने के बावजूद दीपिन्दर अपने स्कूल के दिनों में दो बार फेल हो गए थे। 6 और 11 कक्षा में फेल होने के बाद और माता पिता की डांट मिलने के बाद दीपिन्दर ने अपनी पढ़ाई को गम्भीरता से लेना शुरू किया। उन्होंने पढ़ाई को इतना सीरियसली लिया कि पहली बार में ही अपना IIT एग्जाम पास कर लिया।

IIT परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने IIT दिल्ली से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और साल 2006 में मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी बेन एंड कंपनी में बतौर एम्प्लॉयी उन्होंने नौकरी शुरू की। हालांकि नौकरी करते करते उन्हें खुद के स्टार्टअप का आईडिया आया और दीपिन्दर ने बिना देर करते हुए अपने फ़ूड स्टार्टअप को स्टार्ट किया।

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ऐसे बना एप

हालांकि उनका पहला स्टार्टअप बुरी तरह से फेल रहा। लेकिन उन्होंने हार नही मानी और फिर से अपना एक दूसरा काम स्टार्ट किया। दीपिन्दर ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर फूडीबे नाम के एक स्टार्टअप पर रेस्टोरेंट्स के मेनू और उनके नंबर को अपलोड करना शुरू किया जिसके बाद उनका यह स्टार्टअप पटरी पर आना शुरू हुआ। मगर कुछ दिनों बाद उनके इस फूडीबे नाम को लेकर कोर्ट की ओर से नोटिस मिला जिसके बाद उन्होंने इस नाम को बदलकर “जोमैटो” रख दिया और इस तरह से साल 2008 में जोमैटो एप की शुरुवात हुई। इस एप ने धीरे धीरे देश में इतना धमाल मचाया की आज इस कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग 25920 करोड़ है।

हालांकि अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी को छोड़ बिज़नेस करना दीपिन्दर के लिए बहुत मुश्किल था। दीपिन्दर के माता पिता उनके इस फैसले से बिल्कुल सहमत नही थे, मगर दीपिन्दर ने उन्हें किसी तरह राजी किया। दीपिन्दर की पत्नी ने उनका हमेशा साथ दिया और जरूरत पड़ने पर वह उनकी पूरी मदद करती रही। इतना ही नही उनकी पत्नी दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैथ्स की प्रोफ़ेसर हैं।

टीम के साथ अच्छी बॉंडिंग

दीपिन्दर के साथ उनके इस काम में उनके बहुत सारे टीम मेंबर्स है जिसका वह बेहद ख्याल रखते हैं। दीपिन्दर अपनी टीम के साथ हमेशा एक अच्छा बॉन्ड शेयर करते है और साथ ही टीम मेंबर्स को लेकर बहुत प्रोटेक्टिव भी हैं। दीपिन्दर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि टीम को एक साथ रखने के लिए सैलरी तो जरूरी है लेकिन अगर हम अपने आइडियाज और अपना पॉइंट ऑफ व्यू अपने टीम के साथ साझा करेंगे और उन्हें कंपनी का हिस्सा समझेंगे तो कभी कोई भी आपको छोड़कर कंपटीटर के पास नही जाएगा।आज के दौर में टाइम बहुत महत्वपूर्ण हो गया है और दीपिन्दर अपने समय को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हैं। उन्हें अक्सर सुबह आफिस में 8.30 पर मीटिंग करते देखा जाता है और इस मीटिंग में अगर किसी ने लेट की तो उससे जुर्माना लिया जाता है, उस शख्स के पैसे में आफिस में पार्टी की जाती हैं।

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