स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) हिंदी सिनेमा की वो कोहिनूर हैं जिसकी जगह ना कोई ले सकता है ना ही इस क्षति को पूरा कर सकता है। लता जी ने अपनी मधुर आवाज से पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी और यही वजह है कि उन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। भले ही लता मंगेशकर आज हमारे बीच नही हो, मगर उनके बेहतरीन गानों के वजह से उन्हें हमेशा याद किया (Lata Mangeshkar died at the age of 93) जाएगा। हालांकि बेहद कम लोग ये जानते होंगे कि लता जी को अपने पर्सनल लाइफ के साथ- साथ अपने करियर में भी काफी संघर्ष करना पड़ा था।
छोटी उम्र में ही आ गई थी कंधों पर जिम्मेदारी :-
छोटी सी उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और क्योंकि लता जी का परिवार बेहद बड़ा था तो ऐसे में पिता के निधन के बाद घर की बड़ी बेटी होने के नाते सारी जिम्मेदारियां उनके कंधे पर आ गई थी। अपने एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर की छोटी बहन मीना मंगेशकर (Mina Mangeshkar) ने उनके स्ट्रगल के बारे में बात करते हुए कहा था, ‘मेरा, लता दीदी के साथ अजीब सा रिश्ता है। वो सिर्फ मेरी बहन ही नहीं, बल्कि मां की तरह हैं। मैं उनके साथ बचपन से ही सांए की तरह रहती थी। मैं उनसे केवल दो साल छोटी हूं। मेरे बाबा जब गए तब वो सिर्फ 12 साल की थीं और मैं 10 साल की। हमने बाबा की बीमारी देखी है। हम 1941 में पूना आए थे और बाबा 1942 में चले गए।’
पिता के निधन के बाद हंसना भूल गई थीं लता मंगेशकर :-
मीना मंगेशकर ने आगे इंटरव्यू में बताया, ‘बाबा के जाने का हमें बहुत बड़ा शॉक लगा था। तब दीदी अचानक बड़ी हो गई थी। उनका मज़ाक, हंसना-खेलना सब चला गया था। हमारे ऊपर अब बहुत जिम्मेदारी आ गई थीं। हम सबका भार दीदी ने अपने कंधे पर ले लिया था। अप्रैल में बाबा के जाने के बाद दीदी ने जून से काम करना शुरू कर दिया था। हमें बाबा के लिए रोने का वक्त भी नहीं मिला था।’
इसके आगे मीना जी ने बताया कि उनकी माँ की हालत ऐसी थी कि उन्हें कुछ समझ ही नही आ रहा था। उन्होंने आगे कहा, ‘मां की हालत तो ऐसी थी कि उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। हमारे सामने वो रो भी नहीं सकती थी। ये वो वक्त था जब हम हंसना भूल ही गए थे और दीदी बस काम करती रही। वो सुबह आठ बजे काम के लिए निकल जाती थीं और रात को 10 बजे वापस आती थीं। लेकिन दीदी ने कभी अपना दुख हमें नहीं सुनाया।’
तकरीबन 50 हजार गानों को लता जी ने दी है अपनी आवाज :-
वैसे आपको बतादें कि 93 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहने वाली गायिका लता मंगेशकर ने कुल 36 भाषाओं में लगभग 50 हजार गाने गाए है जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 फिल्मों में अपनी आवाज देने वाली लता जी के जीवन में एक वक्त ऐसा भी था जब साल 1960 से 2000 तक में बिना उनकी आवाज के फिल्मों को अधूरा माना जाता था। हालांकि साल 2000 के बाद उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया था और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए। उनका आखिरी गाना साल 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।
संगीत की दुनिया में लता जी ने कमाया अपना नाम :-
मालूम हो कि करीब 80 साल तक संगीत की दुनिया में सक्रिय रहने वाली लता जी का जन्म साल 1929 में 28 सिंतबर को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था और तकरीबन 13 साल की उम्र में उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर (Pandit Dinanath Mangeshkar) संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के एक जाने-माने चेहरा थे और उन्होंने ही लता जी को संगीत की शिक्षा दी थी। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि साल 2001 में लता मंगेशकर को संगीत की दुनिया में उनके बेहतरीन योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।
भारत रत्न से किया जा चुका है सम्मानित :-
हालांकि इससे पहले भी उन्हें कई प्रतिश्ठित अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है जिनमे पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान शामिल है। बेहद कम लोग ये जानते होंगे कि एक मशहूर गायिका होने के साथ-साथ लता जी का खुद का एक प्रोडक्शन हाउस भी था जिसके बैनर तले फ़िल्म ‘लेकिन’ का निर्माण किया गया था और इस फ़िल्म के लिए लता जी को बेस्ट फीमेल सिंगर का नेशनल अवार्ड भी मिला था। 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली लता मंगेशकर हिंदी सिनेमा की एकमात्र गायिका रहीं हैं।
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