ससुराल वाले से परेशान हो चली आई मुंबई, 2 रुपये से बनी 2 हजार करोड़ की मालकिन

kalpna saroj: एक ऐसी लड़की जिसकी 12 साल की उम्र में शादी कर दी गई। जिसके गांव में रास्ते नहीं थे आज मुंबई शहर में उसके नाम से उसकी कंपनी के नाम से दो रोड हैं। जिसके पास रहने के लिए घर नहीं था जो किराये के घर में रही हैं वो आज वह बिल्डर बनकर लोगों को घर बेच रही है। जिसने 2 रुपये से काम स्टार्ट किया था आज वह दो हजार करोड़ के कंपनी की मालकिन है।

हम बात कर रहे हैं कल्पना सरोज की। जिन्हें हर महीने 60 रुपये सैलरी मिलती थी लेकिन आज वो 2 हजार करोड़ की मालकिन है। कल्पना सरोज एक ऐसी लड़की जिसे एजुकेशन नहीं मिला बचपन में ही शादी कर दी गई। उनके मामा जी कहते थे लड़कियों को पढ़ा के क्या करना। पढ़कर करेगी क्या चूल्हा चौका तो ही करना है।

कल्पना सरोज की कम उम्र में ही शादी कर दी गई । कल्पना सरोज ने बताया मैं घर का सारा काम करती थी उसके बावजूद मुझे गालियां सुनने को मिलता। अगर हमने बाल बांधने के लिए भी समय निकाल लिया तो कई तरह के ताने सुनने को मिलते। जेठ बोलते कहां नाचने जा रही हो। किसी तरह शादी के 6 महीने बीते जब मेरे पापा मुझसे मिलने आए तो मैं बहुत रोई मेरे बाबा मुझे देखकर रो पड़े। उन्होंने कहा मैं तुम्हें यहां एक पल भी रहने नहीं दूंगा और बाबा मुझे वहां से लेकर चले गए।

बेटी का दुख देखा नहीं गया

आपको बता दें कि कल्पना के बाबा पुलिस हवलदार थे । उन्होंने अपनी बेटी से कहा जो भी कुछ हुआ उसे एक बुरा सपना सपना समझ कर भूल जाओ और एक नई जिंदगी की शुरुआत करो। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें पढ़ाया लेकिन समाज में लोगों ने कई तरह की बातें की- किसी ने कहा बेटी को ससुराल से ले ले आया, यह बेकार आदमी है। लोगों ने मेरे मां-बाप को ताने मारे मुझे कोसा इन सब बातों को सुनकर मेरा दम घुटता था। मैंने एक बार जान देने की कोशिश की लेकिन बच गई।

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इसके बाद कई लोग मुझसे मिलने आए हैं , मिलते समय लोगों ने कई तरह की बातें कही। उन्होंने कहा मर जाती तो लोग क्या कहते महादेव की बेटी ने कुछ किया होगा तभी तो मरी है। यह सब बातें सुनकर कल्पना ने सोच लिया मरना है तो जीना क्यों नहीं अब मैं जीकर दिखाऊंगी। इसके बाद उन्होंने नौकरी ढूंढने की कोशिश की। हालांकि कम एजुकेशन के चलते वह ना तो नर्स बन पायी ना ही पुलिस बन पाई। उन्होंने मां से कहा कि मुझे मुंबई भेज दो मैं कहीं बड़ी मिल में काम कर लूंगा।

मुंबई आकर काम करने लगी

इसके बाद कल्पना सरोज मुंबई आ गयी और होजरी कंपनी, सन मिल कंपाउंड लोरपरेल में काम पर लगी, जहां पर कल्पना को हर दिन के 2 रुपये मिलता वही महीने के 60 रुपये। कई साल तक ऐसे ही चलता रहा है। उनके बाबा उनसे मिलने भी आए इस दौरान उनकी बहन की बीमारी के चलते मौत हो गई। तब उसे पैसों की अहमियत का पता चला उसके बाद उन्होंने पैसे कमाने की ठान ली फिर उन्होंने सरकारी पॉलिसी के बारे में जाना और 50,000 का लोन लिया। लोन से उन्होंने बुटीक का काम शुरू किया इसके साथ-साथ उन्होंने फर्नीचर भी बेचा।

सुरक्षित बेरोजगार संगठन बनाई

इसके बाद कल्पना सरोज सुरक्षित बेरोजगार संगठन बनाई इसमें और अशिक्षित बच्चों को रोजगार देने की ठानी। धीरे-धीरे लोग उनके काम से उन्हें जानने लगे। अपनी परेशानियां हल कराने के लिए भी कल्पना के पास आते। इसी तरह एक बार एक प्लॉट का मसला लोग हल कराने के लिए कल्पना के पास गए। यही से उनके दिमाग में बिल्डर बनने का ख्याल आया। पुरुष प्रधान देश में दलित महिला का बिल्डर बनना लोगों को रास नहीं आया। इसलिए उसकी सुपारी तक दे दी गई। हालांकि कल्पना सरोज उस वक्त पुलिस कमिश्नर के पास गयी पुलिस कमिश्नर ने उन्हें सिक्योरिटी भी ऑफर किया लेकिन उन्होंने कहा कि देना है तो रिवाल्वर लाइसेंस दे दीजिए , मैं अपनी रक्षा खुद करूंगी इसके बाद मुझे रिवाल्वर मिला।

बिल्डर के बाद कल्पना सरोज शुगर फैक्ट्री की डायरेक्टर बनी। कमानेटिव लिमिटेड के वर्कर्स उनके पास आए कल्पना सरोज वहां काम करने गई। कोर्ट ने वर्कर्स को मालिक बना दिया और मालिक को साइड में खड़ा कर दिया कल्पना सरोज मजदूरों के साथ रही। फिर 2006 में कोर्ट ने कंपनी कल्पना को चलाने के लिए दे दी। लेकिन कोर्ट ने एक शर्त रखी थी कि 2011 में मुझे कंपनी छोड़नी पड़ेगी।

मिल चुका है पद्मश्री अवार्ड

एक वक्त ऐसा भी था जब कल्पना सरोज रोड पर पैदल चला करती थी क्योंकि उनके पास बसों में जाने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे आज मुंबई में इनके और इनकी कंपनी के नाम से दो रोड एक रामजी भाई कामिनी और दूसरा रोड पुरला कमानी है। कल्पना चावला आईआईएमटी गवर्नर भी बनी। आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित भी किया था।

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