ये कैसी औलाद है? बेटा आयरलैंड में है और पिता गुजार रहा है रैन बसेरे में सर्द रातें…

देश के अलग-अलग हिस्सों से कई ऐसी कहानियां सामने आती है, जो रूह को झकझोर कर रख देती है। ये कहानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) की है, जहां रैन बसेरे (Night Shelter) में एक ऐसा बुजुर्ग रहता है जो फर्राटे से इंग्लिश बोलता है। उनका कहना है कि उनकी जिंदगी ने उन्हें इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। एक दौर था जब वह मखमल पर सोते थे और जिंदगी ने उन्हें आज ऐसा वक्त दिखाया कि सोने के लिए आज उन्हें डांट भी नसीब नहीं है।

आयरलैंड में नौकरी करता है बेटा

रैन बसेरे (Night Shelter Home) में बेघर एवं गरीब लोग सर्द रातों से बचने के लिए रहने जाते हैं, लेकिन मेरठ के एक रैन बसेरे में एक ऐसा बुजुर्ग रहता है जिसका बेटा आयरलैंड (Ireland) में बड़ी कंपनी में नौकरी करता है। बुजुर्ग का नाम सुरेंद्र शर्मा (Surendra Sharma) हैं। वह फर्राटे से इंग्लिश बोलते हैं। अपनी जिंदगी का फलसफा जाहिर करते हुए उन्होंने खुद बताया कि- कई वर्षों तक उन्होंने एंबेसी में काम किया। बड़े बेटे की नौकरी आयरलैंड की एक बड़ी कंपनी में लग गई और वो चला गया और छोटे बेटे से उनकी नहीं बनती। यही कारण है कि वह अब अपना जीवन रैन बसेरे में गुजार रहे हैं।

कभी मखमल तो कभी डांट भी नसीब

मेरठ के बच्चा पार्क रैन बसेरे में रहने वाले बुजुर्ग सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि जिंदगी का यही फलसफा है। कभी मखमल तो कभी डांट भी नसीब नहीं होती। रेन बसेरे में रह रहे लोग सुरेंद्र शर्मा के काफी अच्छे मित्र बन गए हैं। सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि रैन बसेरे में रहने से उनके सोने का इंतजाम तो हो जाता है, लेकिन खाने के इंतजाम के लिए उन्हें सोचना पड़ता है। उसका कोई इंतजाम नहीं है।

सुरेंद्र शर्मा के अलावा इसी रैन बसेरे में एक और ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी दास्तां उनसे मिलती-जुलती है। यह बुजुर्ग अपनों के सताए हैं। इस रैन बसेरे में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य एवं उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखने के लिए नगर निगम ने वहां हाईटेक सुविधाएं मुहैया करा रखी है। साथ ही गरीबों के लिए नगर निगम ने निशुल्क ई-रिक्शा सेवा की शुरुआत भी की है। यह ई रिक्शा रात में घूम-घूम कर आकाश के नीचे सो रहे लोगों को रैन बसेरे तक लाते हैं।