माँ की ममता पर भारी पड़ा गरीबी, नन्हें बच्चे को पेट पर बांध रिक्शा चलाती हैं तारा

महिलाएं हर क्षेत्र में आज पुरुषों से आगे है चाहे वो त्याग के मामले में हो या फिर दुनिया में खुद के एक पहचाने बनाने के मामले में हो। फेमिनिज्म वो नही है जो महिलाओं की गलती होने के बावजूद उसे ढक दे । महिला सशक्तिकरण वो है जो खुद को हर परिस्थितियों में मजबूत बना के रखे और अपने साथ साथ अपने परिवार को भी खुश रखे।

एक ऐसा ही एक उदाहरण हैं छत्तीसगढ़ की तारा प्रजापति। जो अपने परिवार के खातिर ऑटो चालक बन गई और उनका अंदाज भी काफी अनोखा है। दरअसल अंबिकापुर शहर की सड़कों पर वो अपने पेट पर नन्हे बच्चे को बांध कर ऑटो चलाती है जो उनके साहस और जज्बे को दिखाता हैं। करीब 10 साल पहले तारा की शादी हुई थी।

शुरुवाती दिनों में परिवार का खर्च चलाने के लिए तारा के पति ऑटो चलाया करते थे मगर सिर्फ उनके काम से परिवार का खर्च अच्छे से चल नही पा रहा था। परिवार की स्तिथि को बेहतर करने के लिए तारा ने यह फैसला किया कि वो भी अपने पति का साथ देंगी और घर के खर्च में मदद करेंगी। जिसके बाद उन्होंने अपने बच्चे को लेकर खुद सड़कों पर आ गई और ऑटो चालक बन गई। अब ऐसे ही तारा अपने बच्चे और परिवार दोनो का ख्याल रखती हैं।

ऑटो चलाने के साथ साथ तारा अपने बच्चे का भी पूरा ध्यान रखती है। उनके बच्चे को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इज़के लिए तारा अपने साथ पानी की बोतल और खाने का सामान हमेशा साथ में रखती है। तारा कहती हैं, ‘उनके लिए यह काम आसान नहीं है, मगर वो अपने बच्चे के भविष्य को संवारने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. तारा के जज्बे को सलाम!

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