Super 30 Anand Kumar: सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। आज उनका नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। आनंद कुमार देश और दुनिया के उन महान भारतीय गणितज्ञ में गिने जाते हैं, जो सुपर 30 कोचिंग संस्थान के कर्ताधर्ता है। उन्होंने अपने इस संस्थान से देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर को कई टॉपर्स दिए है। उनके इस संस्थान में जेईई से लेकर नीट की परीक्षा देने वाले आर्थिक और पिछड़े छात्रों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि उन्हें उनकी सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाने के लिए खुद भी दिन रात मेहनत की।
भारत के महान गणितज्ञ कहे जाने वाले आनंद कुमार ने गरीब बच्चों को पढ़ा कर आज उनकी कामयाबी का मुकाम छूने में मदद कर दुनिया भर में अपने नाम का परचम लहराते हुए सम्मान और प्रसिद्धि हासिल की है। उनके संस्थान से हर साल सैकड़ों की तादाद में छात्र अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। आइए हम आपको उनकी संघर्ष भरी सफलता की यह कहानी बताते हैं।
जब पैसों की कमी से अधूरे रह गए आनंद कुमार के सपने
आनंद कुमार का जन्म 1 जनवरी 1973 को बिहार के पटना में हुआ था। उनके पिता डाक विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। ऐसे में यह तो आप समझ ही गए होंगे कि वह एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते थे। आनंद कुमार ने शुरुआत से ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वह पटना हाई स्कूल चले गए थे। इसके बाद उन्होंने पटना के बीएन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। आनंद की रूचि हमेशा से गणित की तरफ बहुत ज्यादा थी। ऐसे में वह गणित में तेज थे। उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें कैंब्रिज और शेफील्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका भी मिला, लेकिन पिता के निधन ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह पलट कर रख दिया।
पिता के निधन के बाद उनकी जिंदगी में आया टर्निंग प्वाइंट सबसे बड़ा रहा। पढ़ाई के लिए जज्बा और मौका दोनों होने के बावजूद वह बाहर जाकर नहीं पढ़ सके। ऐसे में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान आनंद ने नंबर थ्योरी पर पेपर जमा करने शुरू कर दिए और यह पेपर बाद में मैथमेटिकल स्पेक्ट्रम और मैथमेटिकल गजट नाम से अखबारों में प्रकाशित भी हुए।
आनंद सर की मेहनत से मिली कामयाबी
सफलता की पूंजी मेहनत होती है… यह हर कोई जानता है और इस बात को असल में सार्थक आनंद सर ने कर दिखाया, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने संघर्ष करें जीवन से की। इस दौरान उनकी मां घर पर एक छोटी सी पापड़ की दुकान चलाती थी, जिसकी कमाई से उनके परिवार का गुजर-बसर होता था। मां पापड़ बनाती थी और आनंद सर घर-घर जाकर डिलीवरी किया करते थे। वह मां का उनके काम में वह साथ तो देते थे, लेकिन उनका मन हमेशा गणित के नंबरों की तरफ झुकाव रखता था। ऐसे में उन्होंने अपनी पारिवारिक स्थिति और आर्थिक तंगी को कभी अपने जीवन का रोड़ा नहीं बनने दिया।
सबसे पहले शुरु किया कम फीस वाला कोचिंग सेंटर
उनके ज्ञान के चलते ही उन्हें तीसरी श्रेणी में नौकरी करने का प्रस्ताव मिला। हालांकि उन्होंने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा, बल्कि दूसरे छात्रों के जरिए अपने सपने को पूरा करने का मन बना लिया और गणित पढ़ाने के अपने शौक के कारण आनंद ने प्रतिस्पर्धी परीक्षार्थियों के लिए एक कोचिंग सेंटर बनाया। इस दौरान पहले उनके इस कोचिंग सेंटर में सिर्फ 2 छात्र थे, लेकिन 1 साल के अंदर उनके छात्रों की गिनती 36 तक पहुंच गई। वह हजार रुपए से भी कम सालाना फीस लेकर बच्चों को कोचिंग देने लगे। जो कि उस दौर में दूसरे कोचिंग सेंटर से ली जाने वाली फीस से कई गुना कम थी।
कैसे हुई सुपर 30 की शुरुआत
इसके बाद साल 2000 में उनके पास एक छात्र आया और उसने कहा कि उसके पास फीस देने के पैसे नहीं है, लेकिन वह आईआईटी जेईई की परीक्षा की तैयारी करना चाहता है। आनंद सर ने उस बच्चे को निराश नहीं किया और बच्चे को मुफ्त में अपने कोचिंग संस्थान में आईआईटी जेईई की परीक्षा की तैयारी कराई। इसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वह अपने कोचिंग सेंटर में ऐसे बच्चों की भी मदद करेंगे, जो दूसरे कोचिंग सेंटर्स की फीस नहीं दे पाते। उनकी इसी सोच के साथ साल 2002 में सुपर 30 का जन्म हुआ।
इसके बाद वह अपनी इस सुपर मिशन योजना के तहत गरीब एवं सर्वश्रेष्ठ एवं उत्कृष्ट दिमाग रखने वाले टॉप थर्टी स्टूडेंट्स को चुनने लगे और उन्हें फ्री में कोचिंग देने लगे। आज तक उनका यह सफर इसी तरह से जारी है। वह अपने इन 30 छात्रों को सिर्फ स्टडी मैटेरियल ही मुफ्त में नहीं देते, बल्कि भोजन और रहने की जगह भी देते हैं।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है आनंद सर का नाम
बता दें कि आनंद सर के कोचिंग सेंटर में सैकड़ों ऐसे छात्र हैं, जिन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में अपनी परीक्षा को क्लियर कर इतिहास रचा है। बता दे साल 2009 में आनंद सर का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। आनंद सर को इस सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान और प्रलेखन संस्था द्वारा जुलाई 2010 में रामानुजन पुरस्कार भी दिया गया था और इसी महीने उनके अथक प्रयास को लेकर उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष दूत राशिद हुसैन की ओर से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने भी आनंद कुमार को महर्षि वेद व्यास पुरस्कार से नवाजा है।
विदेशों में भी है गूंजता है सुपर थर्टी आनंद कुमार का नाम
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों जैसे ब्रिटिश कोलंबिया सरकार, कनाडा सरकार के अलावा जर्मनी सरकार के भी शिक्षा मंत्रालय द्वारा आनंद सर को सम्मानित किया जा चुका है। बता दे साल 2017 में उन्हें बाल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा ‘राष्ट्रीय बालकल्याण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा हाल ही में आनंद कुमार को ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। बता दें कि आनंद कुमार के संघर्ष भरे जीवन पर बॉलीवुड में भी एक फिल्म बनी है जिसका नाम सुपर 30 है।