घर से निकल 2 बच्चों की मां बनी आत्मानिर्भर, आज दे रही हैं 90 महिलाओं को रोजगार।

कहते है ना कि महिलाएं घर के साथ साथ बाहर की दुनिया को भी बखूबी संभाल लेती हैं। अगर महिलाएं चाह ले तो उनके लिए कोई भी काम नामुमकिन नही होता। ऐसी ही एक महिला हैं जिन्होंने अपनी सोच से लोगों का नजरिया बदलने की कोशिश की है। “मेरी इच्छा है कि एक दिन सभी महिलाएं ‘आत्मानिर्भर’ बन जाएं”. यह शब्द लखनऊ के एक गाँव की रहने वाली 34 साल की दीक्षा कश्यप की हैं. दीक्षा ने घर की चारदीवारी से निकल कर ना सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि वह कई महिलाओं को इसकी प्रेरणा भी देती हैं। वह ‘रानी लक्ष्मी बाई’ नाम का एक समूह चलाती हैं, जिसमें वह अपने जैसी कई अन्य महिलाएं को प्रसीक्षण देती है और काम करवाती हैं. उन्होंने अपने समूह में करीब 90 महिलाओं को रोजगार दिया है।  

दीक्षा ने कुछ भी बड़े स्तर पर शुरू नही किया उन्होंने मात्र 40,000 रुपये की पूंजी के साथ अपने काम की शुरुवात की थी। अपनी भाभी के साथ मिल कर दीक्षा ने इसका शुभारम्भ किया और परिवार के साथ मिलकर मसालों की पैकिंग करने का काम शुरू किया। हालांकि शुरुवाती दिनों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पर पर धीरे धीरे उनके मेहनत सफल होने लगा और उन्हें बड़े और स्थानीय आर्डर मिलने लगे। आलम यह हैं कि अब दीक्षा वाट्सएप्प और दूसरे माध्यमों से खुद के प्रोड्यक्त ऑनलाइन बेचती है। उन्होने इस ग्रुप में उन्होंने करीब 90 महिलाओं को काम दे रखा है।

पुराने दिनों को याद करते हुए दीक्षा ने बताया कि खुद का अपना एक बिज़नेस खोलना आसान नही था। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया। घर से निकलते वक्त उनके दिमाग में कई सारे सवाल खड़े होते थे लेकिन उन्होंने इनसब पर ध्यान न देकर अपने काम पर ध्यान दिया। शादी-शुदा होने के कारण उनके सामने बहुत सी बाधाएं थीं, लेकिन उन्होंने खुद को मज़बूत किया और आगे बढ़ी.

बकरी पालकर की शुरुआत

सबसे पहले दीक्षा ने एक बकरी खरीदी और उस पाला। और उसके कुछ वक्त बाद वह ‘सोशल सहेली’ नाम के एक समूह के संपर्क में आईं. इस समूह के संपर्क में आते ही दीक्षा ने खुद को बेहद विकसित किया और फिर खुद के व्यवसाय के लिए तैयारी की। एक वक्त आज का है जब वह अपने व्वसाय में पूरी तरह से सफल है। उनकी इस जर्नी की सबसे खास बात यह है थी उनके पति और उनके परिवार ने उन्हें बेहद सपोर्ट किया। इसके अलावा आपको बता दें की दीक्षा दो बच्चों की माँ भी है। इतनी जिमीदरियों के बाद भी दीक्षा की यह सफलता किसी इंस्पिरेशन से कम नही हैं।

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