जज्बे को सलाम! 80 साल की उम्र में उज्जैन की शशिकला के ने लिया PhD डिग्री

कहते है ना कि पढ़ने की कोई उम्र नही होती, बस हौसला बुलंद होना चाहिए। अगर आपके अंदर विश्वास है और आप मेहनती है तो कोई भी ताकत आपको सफल होने से रोक नही सकती , उम्र भी बाधा नही बन सकती। इसी18 का एक जीता जागता उदाहरण है उज्जैन की शशिकला। 80 साल की उम्र में संस्कृत से पीएचडी कर शशिकला ने यह साबित कर दिया है कि हौसला बुलंद होना चाहिए और अगर आपके अंदर कुछ करने की चाह है तो आप वह जरूर कर सकते है फिर चाहे आपकी उम्र 97 साल भी क्यों ना हो।

शिक्षा विभाग में काम कर चुकी और लेक्चरर की पोस्ट से रिटायर हो चुकी शशिकला ने एमए किया। साल 2009-2011 में उन्होंने ज्योतिष विज्ञान से अपनी मास्टर्स की डिग्री ली और तय किया कि वह पीएचडी कर डॉक्टर की डिग्री हासिल करेंगी। जिसके बाद उन्होंने संस्कृत में वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ ‘वृहत संहिता’ पर अध्ययन शुरू किया और अंतत: सफल रहीं.

आपको बता दें कि महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी के मार्गदर्शन में ‘वृहत संहिता के दर्पण मे शशिकला ने सामाजिक जीवन के “बिंब” विषय पर अपनी पीएचडी पूरी की. शशिकला को उनकी डिग्री राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने अपने हाथों से देकर सम्मानित किया था और साथ ही उनके हौसले की सराहना की.

जानकारी के मुताबिक शशिकला को ज्योतिष विज्ञान में हमेशा से ही रुचि थी और आगे रिटायरमेंट के बाद उन्हीने आगे पढ़ाई करने की सोची। शशिकला बताती हैं, “ज्योतिष पढ़ने से उनके चिंतन को अलग दिशा मिली है. ज्योतिष के ज़रिए जीवन के आने वाले संकेतों को पढ़कर चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.”

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