Rudraksha ke niyam: उत्तराखंड का हरिद्वार और ऋषिकेश गंगा घाट सिद्ध पीठ मंदिर और आश्रमों के लिए नहीं बल्कि रतन और रुद्राक्ष के लिए बहुत ज्यादा मशहूर है. शास्त्र और पुराणों में रुद्राक्ष धारण करने को लेकर कई तरह के बातों को बताया गया है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष का निर्माण भगवान शिव के आंसुओं से हुआ.
इस कारण से जो व्यक्ति रुद्राक्ष शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार धारण करता है उसे नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है. रुद्राक्ष धारण करने के साथ-साथ बाद में भी कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है. क्या आप जानते हैं कि चार स्थानों पर रुद्राक्ष धारण करके बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए.
मीडिया से बातचीत के दौरान ऋषिकेश में स्थित सच्चा अखिलेश्वर मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने कहा कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. त्रिपुरासुर नामक दैत्य जिसे अपनी शक्तियों का बहुत ही ज्यादा घमंड था. उसने भूलोक के साथ-साथ देवलोक में भी काफी उत्पादन मचा रखा था.
देवताओं उसे परास्त नहीं कर पा रहे थे तब देवता गण भगवान शिव के पास इस समस्या को लेकर गए। देवता जब भगवान शिव से मिलने के लिए वे कैलाश पर्वत पर उस समय आंख बंद करके तप कर रहे थे. भगवान शिव ने जब आंख खोली तो उनकी आंखों से कुछ आंसू धरती पर गिर गया जिससे रुद्राक्ष का वृक्ष का उत्पत्ति हुआ. जहां-जहां उनके आंसू गिरे थे वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग गए थे. उसके बाद भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया.
क्या है रुद्राक्ष पहनने से जुड़ा नियम– Rudraksha ke niyam
पंडित शुभम तिवारी ने कहा कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. इसे पहनने से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, वहीं अगर आप इसे धारण करते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. रुद्राक्ष को विधि के अनुसार पहना जाए तो कई फायदा होता है.
इन जगहों पर ना पहने रुद्राक्ष
अगर कहीं किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है तो वहां रुद्राक्ष उतारकर जाना चाहिए. जहां मांस मदिरा का सेवन होता है वहां रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए और जहां बच्चे का जन्म हुआ हो वहां भी रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए. सोते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए. आप अगर ऐसा करते हैं तो परेशानियों से आपको छुटकारा मिलेगा.
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रुद्राक्ष को अमावस्या, पूर्णिमा, श्रावण मास सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष के दिन पहनना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. इसे पहनने से पहले दूध से धोकर शुद्ध कर ले और फिर उस पर सरसों का तेल लगाए. ऐसा करने से आपके साथ शुभ कार्य होगा.
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