इन दिनों Meta द्वारा Instagram और WhatsApp को बेचने की खबरें लगातार सुर्खियां पकड़ रही हैं। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि क्या Meta को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को जल्द ही बेचना पड़ सकता है? यह बात सभी जानते हैं कि Meta के यह दोनों ऐप कंपनी रेवेन्यू का सबसे बड़ा हिस्सा है। ऐसे में कंपनी इन्हें बेचने का फैसला कैसे कर सकती है। दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण फेडरल ट्रेड कमीशन है, जिसका नेतृत्व लीना खान कर रही है। याद दिला दे लीना खान (Leena Khan) को पिछले साल ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कमीशन में अपॉइंट किया था। उस दौरान उनका नाम पहली बार सुर्खियों में आया था। कौन है लीना खान (Who Is Leena Khan)? आइए हम आपको पूरी डिटेल में बताते हैं।
Meta के खिलाफ मामला कोर्ट पहुंचा
फेडरल ट्रेड कमिशन को फेडरल जज की ओर से हरी झंडी मिल गई है, जिसके बाद से लगातार एंटीट्रस्ट मामले में टेक कंपनी Meta को विवादों में घसीटा जा रहा है। इतना ही नहीं Meta का मामला अब कोर्ट भी पहुंच गया है। बता दें इससे पहले भी Meta के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज किया जा चुका है। दरअसल पिछली बार जब यह मामला कोर्ट पहुंचा था उस समय कम जानकारी के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं की गई थी।
वह इस बार एफटीसी अपनी शिकायत में बदलाव के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहा है। इस बार FTC ने आरोप लगाया है कि सोशल नेटवर्क क्षेत्र में Meta की मोनोपोली है। हालांकि FTC की नजर से सोशल मीडिया कंपनी में Meta ही नहीं, बल्कि ऐमेज़ॉन और गूगल पर भी बनी हुई है।
कौन है लीना खान?
लीना खान 35 साल की है। एंटीट्रस्ट इशू को लेकर लीना खान का नाम पहले भी विवादों में घिर चुका है। इतना ही नहीं जब लीना Yale Law School में थी तब से अमेरिका में एंटीट्रस्ट और कंपटीशन लॉ के लिए काम कर रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उन्हें कमीशन में अप्वॉइंट किया था और जून 2021 से वह इसी के लिए काम कर रही है। इसके अलावा लीना खान कोलंबिया लॉ स्कूल (Columbia Law School) की एसोसिएट प्रोफेसर भी है।
याद दिला दें साल 2012 में एफटीसी ने फेसबुक के इंस्टाग्राम ऐप को एक अरब डॉलर में अधिग्रहण की मंजूरी दी थी, जिस वक्त इंस्टाग्राम के अधिग्रहण को मंजूरी मिली थी उस समय कंपनी में कुल 13000 कर्मचारी थे। वही इसके 2 साल बाद यानी साल 2014 में फेसबुक ने इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप शुरू किया। इस ऐप को फेसबुक में 19 अरब डॉलर में खरीदा था।
इन दोनों एप्प की फेसबुक द्वारा खरीद को लेकर FTC अब दलील दे रहा है कि- फेसबुक ने पहले अपने कोपटीटर्स को खरीदा और फिर एक मोनोपोली बनाई। साथ ही कमीशन का यह भी आरोप है कि कंपनी के प्रभाव के कारण कंज्यूमर्स को कम विकल्प मिल रहे हैं। साथ ही इस बाजार में नए टैग और बिजनेस इंवेंशन को लेकर भी ब्रेक लग गया है। इससे प्राइवेसी प्रोटेक्शन में भी कमी आई है।
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