रुक जाएगा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम ? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

Ram Mandir Ayodhya : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा होने वाला है. इसके लिए तैयारियां पूरी कर दी गई है और लोग बेसब्री से इस पल का इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर तुरंत सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मना कर दिया है. शनिवार और रविवार को छुट्टी होने की वजह से जनहित याचिका अब और चित्रहीन हो जाएगी.

Ram Mandir Ayodhya: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार

याचिकाकर्ता भोला दास के वकील अनिल बिन ने एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की कोर्ट में मामले को शुक्रवार को मेंशन कर इस पर आज ही सुनवाई करने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. इसके पहले बुधवार को भी कोर्ट ने इस मेंशन को मंजूर नहीं किया था.

प्रधानमंत्री मोदी के हाथों प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाने की थी मांग

आपको बता देगा गाजियाबाद के भोला दास ने जनहित याचिका दाखिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की थी. इस याचिका में शंकराचार्य की आपत्तियों का हवाला देते हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह को सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया था.

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दायर की गई याचिका में कहा गया था कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए यह आयोजन कर रही है. जनत याचिका में यह भी कहा गया की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर शंकराचार्य की भी आपत्ति है. पौष महीने में कोई धार्मिक कार्य आयोजित नहीं होते हैं साथ ही यह भी कहा गया की मंदिर अभी अपूर्ण है,अपूर्ण मंदिर में किसी देवी देवता का प्राण प्रतिष्ठा नहीं होता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ है.

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16 जनवरी को दाखिल की गई थी याचिका

इस याचिका में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को केवल चुनावी स्टंट कहा गया था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर अर्जेंसी के बेसिस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा का रास्ता साफ हो गया. हाई कोर्ट में 20 और 21 जनवरी को साप्ताहिक अवकाश रहेगा कोर्ट 22 जनवरी को खुलेगा लेकिन उसी दिन प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा. इसलिए अब यह याचिका औचित्यहीन हो जाएगा.

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