शताब्दी ट्रेन की जगह अब चलेगी वंदे भारत ट्रेन, इन 27 रूटों पर शुरू होगा परिचालन

भारतीय रेलवे (Indian Railway) से हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं, ऐसे में भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की सुविधा को सुविधाजनक बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इस कड़ी में रेलवे की ओर से जल्द ही शताब्दी (Shatabdi Train), जन शताब्दी (Jan Shatabdi Train) के साथ-साथ इंटरसिटी जैसी ट्रेनों को वंदे भारत से रिप्लेस (Shatabdi and Intercity trains Replace By Vande Bharat train) करने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत (Semi High speed train Vande Bharat) से यात्रियों का सफर पहले के मुकाबले न सिर्फ उनके समय की बचत करेगा, बल्कि उनके सफर को यादगार की बनाएगा।

Shatabdi and Intercity trains Replace By Vande Bharat

शताब्दी-जन शताब्दी को रिप्लेस करेगी वंदे भारत

रेलवे के इस फैसले से जुड़ी जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साझा की है। उन्होंने बताया कि देश में साल 2023 तक 75 नई वंदे भारत ट्रेन को शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसके मद्देनजर कुछ तैयारियों को लेकर युद्ध स्तर पर काम भी चल रहा है। उन्होंने बताया कि रेलवे आने वाले समय में शताब्दी, जन शताब्दी और इंटरसिटी ट्रेन की जगह वंदे भारत ट्रेन का संचालन करने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल इसके लिए 27 रूटों का चयन किया गया है।

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27 रूटों पर जल्द दौड़ेगी वंदे भारत

रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे के इस फैसले के मद्देनजर पहले चरण में दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-अमृतसर और पुरी-हावड़ा समेत 27 रेलवे रूट पर वंदे भारत ट्रेन का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली-भोपाल और दिल्ली-चंडीगढ़ रेलवे रूट पर चलने वाली शताब्दी ट्रेनों को भी वंदे भारत से बदलने की तैयारी की जा रही है।

Shatabdi and Intercity trains Replace By Vande Bharat

गौरतलब है कि वंदे भारत ट्रेन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री द्वारा चेन्नई में 75 ट्रेनें अगले साल 15 अगस्त तक पटरी पर दौड़ने के लिए तैयार हो जाएंगी। बता दे नई वंदे भारत पुराने मॉडल की तुलना में ज्यादा एडवांस और कई नई तकनीकों से लैस होगी। रेलवे ने भारत की पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत को पूरी तरह से इन हाउस डिजाइन किया है। याद दिला दे साल 2026 तक गुजरात के सूरत और बिलिमोरा के बीच पहली बुलेट ट्रेन पटरी पर दौड़ती नजर आएगी। बुलेट ट्रेनों के प्रोजेक्ट के लिए 90 फ़ीसदी से ज्यादा भूमि का अधिग्रहण कार्य भी हो चुका है।

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