शहीद मेजर मयंक विश्नोई के दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब, माँ और पत्नी हुई बेसुध ,देखिये भावुक तस्वीरें

एक और जवान शहीद हो गया। मेरठ के शहीद मेजर मयंक विश्नोई का अंतिम संस्कार भारत माता के जयकारों के बीच किया गया। पिता बिरेंद्र सिंह विश्नोई ने उन्हें मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार से पहले अपने बेटे का चेहरा देख मां बेहोश हो गई। पत्नी स्वाति का रोते-रोते बुरा हाल था तो पूरा शहर शहीद के जाने के ग़म में डूबा हुआ था। इसी दौरान सैन्य अफसरों ने पत्नी स्वाति को राष्ट्रध्वज भी सौंपा और शिवलोकपुरी से लेकर सूरजकुंड तक पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा भी बरसाते रहे।

पूरे शहर ने मिलकर पार्थिव शरीर को किया सलाम

कंकरखेड़ा शिवलोकपुरी में मकान नंबर 661 में शहीद मेजर मयंक विश्नोई रहा करते थे। रविवार की सुबह ही कॉलोनी में भारत माता के जयकारे गूंजने लगे थे। कंकर खेड़ा में हर व्यक्ति यह बात जानता था कि भारत माता का एक और बेटा शहीद हो चुका है। इसलिए मेजर मयंक के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने के लिए उस शहर का हर व्यक्ति आतुर था। सभी के हाथों में फूल और छतों पर राष्ट्रध्वज लहरा रहे थे। जैसे-जैसे दोपहर हुई मंत्री,सांसद, सैन्य अफसर, प्रशासनिक अधिकारी और जितने भी सरकारी अफसर है वह मयंक का इंतजार करने के लिए पहुंच गए।

पिता ने दी मुखाग्नि

दोपहर के बाद एंबुलेंस में मेजर मयंक के पार्थिव शरीर को अंबेडकर रोड कंकरखेड़ा लाया गया। आधा किलोमीटर चलने के बाद शाम के 4:10 पर पार्थिव शरीर घर पहुंचा और जैसे ही पार्थिव शरीर घर पहुंचा शिवलोक पुरी के हर गली और हर घर से पुष्प वर्षा होने लगी। लोग भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे। जैसे ही बेटे के शव को पिता बिरेंद्र विश्नोई ने देखा उनकी आंखों से आंसू बहने नहीं रुक पाए। मां मधु और पत्नी स्वाति फफक फफक कर रो पड़ी। तनु और अनू भाई के अंतिम दर्शन कर उदास चेहरा बनाकर खड़ी रही। वही मोहल्ले की महिलाएं पत्नी स्वाति को संभालती हुई नजर आई।

उसी वक्त पूरे परिवार ने साथ में मेजर मयंक को अंतिम विदाई दी। राजपूत और जाट रेजीमेंट ने पार्थिव शरीर को सरधना रोड पहुंचाया। वहां दोपहिया और चार पहिया वाहनों से लोग पहुंचे। मेजर का अंतिम संस्कार शाम करीब 6:30 बजे किया गया। पिता विरेंद्र सिंह विश्नोई ने मुखाग्नि दी और पत्नी स्वाति को राष्ट्रध्वज सौंपा गया।

अंतिम यात्रा में पहुंचे मंत्री और विधायक

परिजनों के साथ अंतिम यात्रा में प्रदेश मंत्री कपिल देव अग्रवाल, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल, विधायक दिनेश खटीक,पूर्व विधायक अमित अग्रवाल,संयुक्त व्यापार संघ उपाध्यक्ष नीरज मित्तल सरबजीत कपूर, ठाकुर ओपी सिंह, गुल्लू ठाकुर, भगवान सिंह,विनय विद्या, डॉ हर्ष गोयल, सुनील शर्मा, योगेश फौजी और राहुल देव भी मौजूद रहे।

कंकरखेड़ा ने 1 साल के अंदर देखी दूसरी शहादत

श्रद्धा पुरी निवासी मेजर केतन शर्मा के बाद मेजर मयंक विश्नोई का भी पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर कंकरखेड़ा पहुंचा। घर में श्रद्धापुरी के युवा और वृद्ध व्यवस्था बनाने में लगे रहे। किसी ने पुष्प तो किसी ने राष्ट्रीय ध्वज लगाया। हर कोई अपने दोस्त और पड़ोसी की शहादत को सलाम कर रहा था। जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचने की सूचना मिली शिवपुरी के लोगों ने पाइपों से सड़कों को धोना और झाड़ू लगाना शुरू कर दिया। घरों के बाहर खड़े दोपहिया वाहनों को हटा दिया गया और घर तक पहुंचने के लिए चुने से निशान लगाए जाने लगे।

घर के बाहर डेढ़ सौ से अधिक कुर्सियां लगाई गई लोगों के बैठने के लिए और वह भी कम पद गई। इसलिए मोहल्ले के लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। मोहल्ले की महिलाएं सुबह से ही मयंक के घर पहुंची हुई थी और परिवार को सांत्वना दे रही थी। रविवार होने के कारण सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी थी लेकिन आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले व्यापारी भी अपनी दुकानों पर नहीं गए।

सेना के कई गुप्त ऑपरेशंस में मयंक थे शामिल

Major Mayank Bishnoi with his parents

राजपूताना राइफल्स की 44 वीं बटालियन के मेजर मयंक हाल ही के वर्षों में जम्मू के कई गुप्त ऑपरेशंस में शामिल हुए थे। मयंक ने कई बार आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया। उनके ठिकानों को तलाश कर नेस्तनाबूत किया और उनके इसी साहस के लिए 26 जनवरी 2022 को उन्हें सेना मेडल भी दिया जाना था। भाई अंकुर गोयल ने बताया कि अब मयंक की पत्नी स्वाति मेडल प्राप्त करेंगी।