माता-पिता के बेदखल करने के बाद भी इस संपत्ति पर होता है संतान का हक, चाहकर भी नहीं कर सकते बाहर

Patrik Sampatti Kanoon: आपने कई परिवारों में ऐसी स्थिति देखी होगी जब मां-बाप ने अपने बच्चों को न सिर्फ घर से निकाला, बल्कि उसे अपनी जायदाद, अपनी संपत्ति से भी बेदखल कर दिया है। इसके बाद उनके बच्चों का अपने माता-पिता की संपत्ति पर कोई हक नहीं रह जाता है, लेकिन घर से बेदखल होने के बाद भी एक संपत्ति का हिस्सा ऐसा होता है जिससे बच्चों को मां-बाप द्वारा बेदखल नहीं किया जा सकता। इसे पैतृक संपत्ति कहते हैं। अगर आप अपनी संतान को बेदखल भी कर देते हैं, तब भी वह पैतृक संपत्ति के हकदार होते हैं और वह इसके लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।

पैतृक संपत्ति के लिए कोर्ट जा सकते हैं बच्चे (Patrik sampatti kanoon)

अगर मां-बाप अपने बच्चों को घर से निकल भी दे, तब भी वह पैतृक संपत्ति का हकदार होता है और वह इसे हासिल करने के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है। इस दौरान 100% संभावना होती है कि कोर्ट का फैसला संतान के पक्ष में ही आता है। हालांकि कई बार कोर्ट ऐसे मामलों में मां-बाप का समर्थन भी कर देता है, लेकिन यह उस निर्धारित केस की डिटेल्स और जज के ऊपर निर्भर करता है। साथ ही इस बात पर भी निर्भर करता है कि आखिर हालत क्या है।

क्या होती है पैतृक संपत्ति?

किसी भी शख्स को उसके दादा या परदादा से मिली संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है। पैतृक संपत्ति कम से कम 4 पुश्त पुरानी होना जरूरी होता है। वहीं अगर परिवार के बीच कोई बटवारा ना हुआ हो तो ही उसे पैतृक संपत्ति कहा जाता है, अन्यथा बंटवारे के बाद वह पैतृक संपत्ति नहीं रह जाती। पैतृक संपत्ति पर पुत्र और पुत्री दोनों का ही हक होता है। पैतृक संपत्ति को विरासत में मिली संपत्ति कहा जाता है। हालांकि विरासत में मिली हर संपत्ति पैतृक संपत्ति नहीं होती।

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मालूम हो कि पैतृक संपत्ति के बारे में हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 की धारा 4, 8 और 19 में पूरी डिटेल बताई गई है, जिसके मुताबिक अगर संपत्ति में बटवारा हो जाता है, तो वह पैतृक संपत्ति की जगह खुद से जुटाए गई संपत्ति में तब्दील हो जाती है। ऐसे में अगर माता-पिता चाहे तो संतान को उसे प्रॉपर्टी से बेदखल कर सकते हैं।

पैतृक संपत्ति पर होता है किसका हक (Patrik Sampatti Kanoon)?

बता दे पैतृक संपत्ति में किसका, कितना हक मिलेगा यह पीढ़ी के लोगों की संख्या पर निर्भर करता है। इसमें प्रति व्यक्ति के हिसाब से संपत्ति में बंटवारा नहीं होता है। हालांकि पैतृक संपत्ति में आपका हिस्सा इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पिता का हिस्सा कितना है। आपके पिता के हिस्से में से ही आपका हिस्सा बटता है। ऐसे में अगर आप एकलौते हैं, तो आप पिता की पूरी पैतृक संपत्ति के अकेले ही हकदार होते हैं। वहीं अगर आपके भाई बहन है तो आपके पिता की पैतृक संपत्ति आपके और आपके भाई बहनों में बराबर हिस्से में बंट जाती है।

क्या होता है पैतृक संपत्ति और विरासत संपत्ति में अंतर

अब बात पैतृक संपत्ति और विरासत संपत्ति के अंतर की करें, तो बता दे की पैतृक संपत्ति केवल पिता के परिवार की तरफ से आती है। इस विरासत में मिली हुई संपत्ति के तहत रखा जाता है। हालांकि विरासत की हर संपत्ति पैतृक हो ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि विरासत में नानी मां और मां या अन्य कोई रिश्ता जो पिता दादा पर दादा के रिश्ते से जुड़ा हो, उनसे मिली संपत्ति को भी विरासत कहा जाता है, लेकिन यह है पैतृक संपत्ति नहीं होती है।

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