Sunday, June 4, 2023

पटना से करीब 1400 किलोमीटर दूर बसा है ‘मिनी बिहार’, जहां बिहारी लोग ही बनाते हैं सरकार

बिहार डेस्क : बिहार के लोग इस वक्त भारत के कोने-कोने में पहुंच चुके हैं। ऐसे में बिहार वासी जहां जाते हैं वहां अपनी अलग ही छाप छोड़ते हैं और हर जगह वह डंका बजाते है। बिहार के लोगों की आबादी इस वक्त अमेरिका और मॉरीशस तक पहुंच गई है। ऐसे में वह व्यवसायिक कार्य के लिए एवं शासकीय अधिकारी के तौर पर हर जगह नियुक्त है और अपने देश प्रदेश का नाम ऊंचा कर रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर बिहार के लोग देश की राजनीति को भी अलग अंदाज से संभालते हैं। बता दें कि बिहार की राजधानी पटना से 14 किलोमीटर दूर एक मिनी बिहार बसा हुआ है यहां के लोग चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आसाम का एक जिला है जिसका नाम तिनसुकिया है, तिनसुकिया वैसे तो असम में पड़ता है लेकिन यहां पर बिहार के लोगों का दबदबा है। यहां पर बिहार के शिव शंभू ओझा विधायक रह चुके हैं।

यहाँ ज़्यादातर है बिहारी

तिनसुकिया में ज्यादातर रह रहे लोग हिंदी भाषा बोलने वाले हैं। साल 1985 से लेकर 1991 तक यहां पर कांग्रेस के शिव शंभू का बोलबाला था और वह चुनाव जीतते थे। तब उनको आसाम की सरकार ने परिवहन विभाग की जिम्मेदारी दी थी, जिसके चलते वह मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के साथ उठने बैठने लगे थे और उनके साथ काफी अच्छे संबंध स्थापित कर चुके थे। शिव शंभू ओझा का मूल निवास बिहार भोजपुर(आरा) जिला है। वह अपने घर वालों से काफी ज्यादा बातचीत करते थे और घुल मिलकर रहते थे। जब उनकी जिंदगी के आखिरी दिन चल रहे थे तो वह अपने गांव को बहुत याद करते थे। साल 2013 में वह अपने घर बिहार आए हुए थे और जब वह वापिस तिनसुकिया जाने वाले थे, तो एक दिन बाद ही उन को हार्ट अटैक आ गया था और उनकी मृत्यु हो गई थी।

ऐसे है तिनसुकिया के लोग

तिनसुकिया जिला आसाम में पड़ता है और यहां पर सबसे ज्यादा हिंदी बोलने वाले लोग मिलते हैं। इस वक्त यहां पर 15 परिवार ऐसे हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं। करीब 1100 में से 300 गांव में हिंदी बोलने और समझने वाले लोग रहते हैं। जब यहां पर उल्फा का आतंक था तो हिंदी बोलने वालों की तादाद बेहद ज्यादा थी। लेकिन अब ऐसे परिवार काफी कम हो गए हैं और अब उनका कोई भी संपर्क बिहार और उत्तर प्रदेश से नहीं बचा है।

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असम के जिले में ऐसे बिहार के लोग रह रहे हैं जिनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी आ चुकी है। वह अब अपने आप को पूरा आसाम का निवासी समझते हैं। यहां पर बिहार के लोगों की वजह से काफी क्षेत्रवाद आधारित लड़ाई झगड़े हुए हैं और कई लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। हिंसा की वजह से लोगों की तादाद में भी कमी आई है। यहां के लोग बस एक चीज दिल से चाहते हैं और वह है कि उनको लोग बाहरी न बुलाएं।

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Manish Kumar
Manish Kumarhttp://biharivoice.com/
Manish kumar is our Ediitor and Content Writer. He experience in digital Platforms from 5 years.

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