जानिए कौन थीं रानी कमलापति; जिनके नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रखा गया

मध्यप्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से युक्त यह देश का पहला आधुनिक रेलवे स्टेशन है। इसे लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी खुशी जताई है। उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo पर पोस्ट करते हुए कहा कि ये गर्व, आनंद व उत्साह का क्षण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त रेलवे स्टेशन तैयार करवाया और अब इसका नाम हबीबगंज से बदलकर अंतिम हिंदू रानी गोंड वंश की रानी कमलापति जी के नाम किया। हम सभी प्रधानमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद करते हैं। आईये आज आपको बताते हैं कि आखिर कौन थीं रानी कमलापति जिनके नाम पर देश के सबसे आधुनिक रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया है।

भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी और हिंदू रानी थीं कमलापति

rani_kamlapati_bhopal

14वीं ईस्वी में जगदीशपुर (इस्लाम नगर) में गोंड राजाओं का शासन था और इतिहासकारों के अनुसार रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी और हिंदू रानी थीं।16वीं सदी में सीहोर जिले की सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया के यहां एक कन्या का जन्म हुआ था। कन्या की अदभुत सुंदरता की वजह से उसका नाम कमलापति रखा गया था। बचपन से ही राजकुमारी बुद्धिमान और साहसी और शिक्षा, घुड़सवारी, मलयुद्ध और तीर कमान चलाने में निपुण थी। राजकुमारी अपने पिता के सेना में सेनापति भी रह चुकीं थी।

रानी के पति को ज़हर देकर मारा

rani_kamlapati_bhopal

रानी कमलापति का विवाह भोपाल से 55 किमी दूर 750 गांवों को मिलाकार बने गिन्नौरगढ़ राज्य के राजा सूराज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह बहादुर से हुआ था । उन दोनों का एक पुत्र नवल शाह भी था। सलकनपुर राज्य में बाड़ी किले के जमींदार का लड़का चैन सिंह राजकुमारी कमलापति को पसंद करता था और उनसे विवाह भी करना चाहता था इसलिए उसने राजा निजाम शाह बहादुर से युद्ध भी किया था। लेकिन, वो युद्ध मे हार गया था। इसके बाद उसने राजा को भोजन और बुलाकर जहर दे दिया था। राजा की मृत्यु के पश्चात रानी छुपने के लिए कुछ दिनों के लिए भोपाल के किले में अपने पुत्र के साथ चली गयी थी।

सरदार दोस्त मुहम्मद खान को दिए युद्ध करने के लिए 1 लाख मोहरें

rani_kamlapati_bhopal
rani_kamlapati_bhopal

कुछ समय भोपाल के किले में गुजरने के बाद रानी कमलापति ने अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए अफगानों के सरदार दोस्त मुहम्मद खान को 1 लाख मुहरें देकर उससे चैन सिंह से युद्ध करने को कहा। सरदार दोस्त मुहम्मद खान ने चैन सिंह से युद्ध किया और उसकी हत्या के बाद गिन्नौरगढ़ के किले पर अपना आधिपत्य जमा लिया। इसके बाद उसने रानी कमलापति के सामने उससे शादी कर उसके हरम में शामिल होने का प्रस्ताव दिया।

इसे देखते हुए रानी के 14 वर्षीय पुत्र नवल शाह ने 100 लड़ाकों के साथ सरदार दोस्त मुहम्मद खान से युद्ध किया लेकिन, युद्ध में सरदार दोस्त मुहम्मद खान ने रानी के पुत्र को हराकर उसकी हत्या कर दी। कहते हैं कि उस युद्ध मे इतना खून बहा था कि वह की घाटी भी लाल हो गयी थी, जिस वजह से उस घाटी का नाम लाल घाटी पड़ गया। इसके बाद जब रानी कमलापति को ये पता चला कि उनका पुत्र युद्ध हार गया है तब उन्होंने किले के बड़े तालाब का संकरा रास्ता खोल दिया जिससे पानी रिस कर दूसरी ओर आ गया, जो अब छोटी तालाब के नाम से जाना जाता है। रानी ने अपनी पूरी धन, संपत्ति के साथ इसी में अपनी इज्जत बचाने के लिए जल समाधि ले ली थी।

स्टेशन के लिए जारी हुआ नया कोड

Rani Kmalapati Station

जानकारी के लिए बता दें कि स्टेशन का नाम बदलने के बाद पश्चिम- मध्य रेलवे ने इसके लिए नया कोड भी जारी कर दिया है। पश्चिम- मध्य रेलवे द्वारा रानी कमलापति स्टेशन के लिए जारी किया गया नया कोड RKMP है। वहीं जब हबीबगंज था तब इसका कोड HBJ था। बता दें कि प्लेटफॉर्म के एंट्री पर भी स्टेशन के नए नाम यानी की
कमलापति स्टेशन के नाम का बोर्ड लग चुका है।